नयी दिल्ली 04 नवम्बर (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई बड़ी पहल की हैं और पिछले दस वर्ष का समय इन भाषाओं के उत्थान के लिए गौरवमयी कालखंड रहा है।
श्री शाह ने यहां केन्द्रीय हिन्दी समिति की 32वीं बैठक की अध्यक्षता की। केन्द्रीय हिन्दी समिति हिन्दी के विकास और प्रसार के संबंध में दिशा-निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है।
गृह मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और व्यापक उपयोग के लिए कई बड़ी पहल की हैं और 2014 से 2024 तक का समय भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए गौरवमयी कालखंड है। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने पांच और भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया है। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां 11 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।
श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिदी में अपने विचार व्यक्त कर राजभाषा हिंदी का गौरव बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देश में इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्राथमिक और सेकंडरी शिक्षा भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होने से सभी भाषाओं के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बना है। उन्होंने कहा कि देश में भाषाओं के विकास की दिशा में यह एक प्रेरणादायी परिवर्तन है और इसका उद्देश्य देश की क्षमता का शत-प्रतिशत दोहन करना है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे बच्चों और युवाओं की पूर्ण क्षमता का उपयोग देश के विकास में करना है तो ये आवयश्क है कि वे अपनी मातृभाषा में पढ़ें, विश्लेषण करें और निर्णय लें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय हिन्दी समिति का उद्देश्य हिन्दी के साहित्य का संवर्धन और हिन्दी को देश की संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करना है।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिंदी को सशक्त बनाने के लिए पिछले 5 साल में तीन बड़े कार्य किए गए हैं। पहला बड़ा कार्य हिंदी शब्दसिंधु शब्दकोष का निर्माण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले 5 साल में शब्दसिंधु विश्व का सबसे समृद्ध शब्दकोष बनेगा। भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना दूसरा बड़ा कार्य हुआ है। श्री शाह ने कहा कि जब तक हम सभी भारतीय भाषाओं को मज़बूत नहीं करेंगे तब तक आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा अनुभाग ने तकनीक का प्रयोग कर अनुवाद करने की पहल की है। गृह मंत्री ने कहा कि तीसरा बड़ा कार्य देश के विभिन्न हिस्सों में राजभाषा सम्मेलन आयोजित करना है जिससे राजभाषा के महत्व को समझने में सरलता होगी।
श्री शाह ने हिंदी को मज़बूत करने के लिए दो बड़े कार्य करने की आवश्यकता बताई। पहला, हिंदी साहित्य को मज़बूत करने, संजोने और व्याकरण के लिए दीर्घकालीन नीति बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आधुनिक शिक्षा के सभी पाठ्यक्रमों का हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की भी जरूरत है। गृह मंत्री ने हिंदी को सर्वस्वीकृत और लचीली बनाने पर भी बल दिया।
बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, संसदीय कार्य राज्यमंत्री डॉ. एल.मुरुगन , ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब,संसदीय राजभाषा समिति की तीनों उप समितियों के संयोजक, राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या और संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली ने भाग लिया।