- जिले भर में हर्षोल्लास से मनाया गया पर्व, गवली समाज ने सामूहिक रूप से की गोवर्धन पूजा
शाजापुर, 2 नवंबर. दीपावली के दूसरे दिन जिले भर में गोवर्धन पूजा का आयोजन हुआ. लोगों में इस दिन खासा उत्साह देखा गया. इस दिन गाय के गोबर से जगह-जगह गोवर्धन बनाए गए तथा विधि विधान से पूजन अर्चन कर सुख समृद्धि की कामना की गई. इधर गवली समाज में भी इस पूजा का विशेष महत्व है, गवली समाज पशु पालक होने के साथ साथ गौमाता में गहरी आस्था रखते हैं. इस दिन शाजापुर में गाय के गोबर से गवली समाज की महिलाओं द्वारा गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की. छोटे छोटे बच्चों को गाय के गोबर से बने गोवर्धन में लेटाया गया. मान्यता है कि ऐसा करने से वे वर्ष भर निरोगी रहते हैं, यह परंपरा गवली समाज द्वारा कई पीढिय़ों से निभाई जा रही है. विशेष बात यह है कि यह परंपरा धार्मिक लिहाज से तो महत्वपूर्ण तो है ही साथ में इसमें प्रकृति के प्रति प्रेम का भी अनूठा उदाहरण मिलता है.
शनिवार को शाजापुर में गवली समाज ने हजारों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया. नई सडक़ स्थिति गवली मोहल्ला में सुबह गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर खीर पूरी एवं 56 भोग चढ़ाकर गोवर्धन पूजा की. इसके बाद गोवर्धन में दूध मुंहे बच्चों को लेटाकर सुख समृद्धि की कामना की. शाजापुर गवली समाज द्वारा दीपावली की पड़वां पर वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए गोवर्धन पूजा की.
महिलाओं ने गोवर्धन पूजा कर की सुख समृद्धि की कामना
सुसनेर, दीपावली के दूसरे दिन महिलाओं ने नगर समेत ग्रामीण अंचल में घरों के बाहर गाय के गोबर से सांकेतिक रूप से गोवर्धन पर्वत बनाकर के पूजा अर्चना की और सुख समृद्धि की कामना की. इस दिन महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्र पहनकर व आकर्षक श्रृंगार कर पारंपरिक गीत गाते हुए गोवर्धन की पूजा की. इसके पश्चात परिक्रमा की और गीत साथ ही मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना कर खुशहाली की प्रार्थना की. इस दिन महिलाओं ने श्री कृष्ण के द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत की कथा का श्रवण भी किया. इसके चलते जगह जगह गांवों से लेकर नगर के मालीपुरा, जुनी कचहरी, इतवारिया बाजार, शुक्रवारिया बाजार, महुडी दरवाजा, खिडक़ी दरवाजा समेत कई अन्य जगहों पर गाय के गोबर से बने गोवर्धन दिखाई दिए. इस पर्व के दौरान महिलाओं ने अपने से बडों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी प्राप्त किया.
यह है पौराणिक मान्यता…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्वाल वंश को भगवान इंद्रदेव के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी उंगली से उठाया था. तब से ही गोवर्धन महाराज की पूजा ग्वाल वंशियों द्वारा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना करने से ग्वाल वंशियों के धन भंडार भरे रहते हैं और उन पर कोई विपदा नहीं आती है. इस परंपरा का निर्वाह आज भी गवली समाज द्वारा विधि विधान से निभाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा के बाद गवली समाज के युवाओं ने समाज के दूध मुंह बच्चों को गोवर्धन में लेटाकर गोवर्धन महाराज का आशीर्वाद दिलवाया. इसके पश्चात सभी ग्वालवंशियों ने समाज के वरिष्ठजन एवं माताओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.