70 प्रतिशत हिस्से के बाद सहकारी समिति में खत्म
जबलपुर: फसलों की बुवाई में लगने वाली खाद को लेकर किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते उन्हें डीएपी यूरिया आदि खरीदने के लिए काफी चक्कर काटने पड़ते हैं। जब कहीं किसानों को खाद उपलब्ध होती है। लेकिन वह भी पर्याप्त मात्रा में ना मिलने के कारण किसान काफी परेशान रहता है, और ना चाहते हुए भी प्राइवेट रूप से अधिक दाम देकर खाद खरीदनी पड़ती है। वही इस समय जिले में मिलने वाली डीएपी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। परंतु प्राइवेट कृषि केंद्रों में डीएपी अभी भी उपलब्ध है। जहां पर अधिक रेट में किसानों को बेची जा रही है।
एक रैक से दो हिस्सों में जाती है डीएपी
गौरतलब है कि जिले में आने वाली डीएपी की रैक में से 70 प्रतिशत सहकारी समिति और 30 प्रतिशत प्राइवेट फर्म को दी जाती है। उसके बावजूद भी प्राइवेट फर्म में मिलने वाली डीएपी अभी भी किसानों को मिल रही है, वही सहकारी समिति को मिलने वाली डीएपी जिले में खत्म हो चुकी है।
1350 के वसूल रहे 1500
किसानों को मिलने वाली डीएपी का सरकारी रेट 1350 रुपए प्रति बोरी है। परंतु प्राइवेट कृषि केंद्र में जहां पर अभी भी डीएपी किसानों को दी जा रही है, वहां व्यापारी अधिक पैसा लेकर किसानों को खाद बेच रहे हैं। जिसमें 1350 की मिलने वाली डीएपी किसानों क 1500 रुपए में बेची जा रही है। लेकिन सहकारी समिति में डीएपी खत्म हो जाना और फसलों की बुआई करने के लिए किसान अधिक पैसे देकर डीएपी खऱीदने को मजबूर हैं।
इनका कहना है
जिले में अभी तक डीएपी की कोई रैक नहीं आई है। सभी जगह पर डीएपी खत्म हो चुकी है, प्राइवेट में किसी के पास बची होगी तो वहां से किसान खरीद रहे होंगे।
एस के निगम
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास