सेबी जैसी संवैधानिक संस्था में भ्रष्टाचार से गड़बड़ा रहा है आर्थिक आधार : राहुल

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (वार्ता) कांग्रेस ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं का पतन करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार ही नहीं बढ़ा है बल्कि सेबी जैसी संस्थाओं में गड़बड़ी होने लगी है जिससे अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंच रही है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने यहां जारी एक बयान में शनिवार को कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमला सबसे ज्यादा खतरनाक है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार जड़ जमा रहा है और देश की विकास का आधार खोखला हो रहा है।

उन्होंने कहा,“संस्थागत पतन ने देश में भाई- भतीजावाद को बढ़ावा दिया है और हमारी अर्थव्यवस्था अब प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने की बजाय एकाधिकार को बढ़ावा दे रही है। छोटे और मध्यम व्यवसाय प्रतिगामी कर प्रणाली में फंस गए हैं, उद्यमियों को संघर्ष करना पड़ रहा है और खुदरा निवेशक अनिश्चित और असुरक्षित बाजार की ओर देख रहे हैं। अर्थव्यवस्था का यह माहौल समृद्धि और नवप्रवर्तन को सक्षम तथा प्रभावी बनाने वाला नहीं है।”

श्री गांधी ने प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड- सेबी प्रमुख मधुबी बुच पुरी पर लगे आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा,“माधवी बुच का घोटाला इस बात का उदाहरण है कि जब संस्थाएं ध्वस्त हो जाती हैं और भाईचारा हावी हो जाता है तो क्या होता है। जिन लोगों को आम भारतीयों और उनके निवेशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से इनकार कर दिया है और वे लोग खुद ही व्यापक पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार और कदाचार में लिप्त हैं। इस घोटाले पर अब तक जो जानकारी सामने आई है वह बस एक शुरुआत भर है। भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम एक बड़ा सिंडिकेट कर रहा है।”

उन्होंने कहा,“कांग्रेस पार्टी लगातार इन मुद्दों को उठा रही है, कई घोटालों की जांच कर रही है और सच्चाई को उजागर कर रही है।”

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इस मुद्दे पर सवाल किया,“शेयर बाजार में 10 करोड़ छोटे और मझोले निवेशकों की मेहनत की कमाई में हेराफेरी कौन कर रहा है। सरकार जवाब दे कि सेबी चेयरमैन पर लगे घोटालों को लेकर उन्हें संसदीय जांच से क्यों बचा रही है। सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मजबूत बाजार नियामक सेबी की पवित्रता और अखंडता को नष्ट कर क्यो जर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि आजादी के 78 साल के दौरान देश में किसी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं के साथ समझौता नहीं किया लेकिन मोदी सरकार इन पर लगातार हमला कर रही है जिसका खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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