भारी पड़ रही आधुनिकता, कम हो रही मिट्टी के दीयों की चमक

नवभारत न्यूज

उज्जैन। नवरात्रि दशहरा के बाद दीपावली धूमधाम से मनाने की तैयारी में सभी जुट गए हैं। मान्यता है कि मिट्टी के दीपक जलाने से परिवार में सुख- समृद्धि आती है। घर में सुख शांति बनी रहे, इसलिए दीपावली के त्योहार के मौके पर घर के आंगन, दरवाजे, छत आदि जगहों पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा रही है। पुराने रीति-रिवाज की वजह से लोगों को मिट्टी की दीये, मूर्ति एवं बर्तन लेने पड़ते हैं। यही कारण है कि दीपावली आने के पहले से ही कुम्हार दीया बनाना शुरू कर देते हैं।

दीपोत्सव त्योहार के मौके पर लोग कुम्हार द्वारा बनाए मिट्टी के दीये खरीदते हैं। साथ ही माता लक्ष्मी की मूर्ति और मिट्टी से निर्मित पूजन सामग्री भी खरीदी जाती है। इससे कुम्हारों का व्यवसाय भी अच्छा चलता है, लेकिन अधिकांश लोग आधुनिकता के इस दौर में मिट्टी के दीये के स्थान पर चाइनीज लाइट और रंग-बिरंगी मोमबत्तियों, आधुनिक झालर का उपयोग करने लगे है। जिससे कुम्हारों का पुश्तेनी धंधा चौपट होता दिखाई पड़ रहा है। यही वजह है कि दीप बनाने के परंपरागत व्यवसाय को छोड़ परिवार के भरण पोषण के लिए अन्य कार्यों के तरफ रुख करने को मजबर होना पड़ रहा है।

 

कुम्हारों की कला दम तोड़ रही

कुम्हारों की पारंपरिक कला दम तोड़ती नजर आ रही है। बुजुर्गों का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में भी दीपावली के शुभ के अवसर पर मिट्टी के दीये जलाना भारतीय सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है। कुम्हारों ने बताया कि पहले मुफ्त में ही मिट्टी मिल जाती थी। वहीं मिट्टी अब महंगे दामों में खरीदकर सामान तैयार कर बेचते हैं। इसी व्यवसाय से उनके परिवार का जीवन यापन होता है। परंतु अब फैशन के युग में चाइनीज रोशनी वाले दीये अधिकांश घरों में लगाने लगे हैं। जिससे अब मिट्टी के दीये सहित अन्य सामानों की बिक्री कम हो गई है। पिछले कई सालों से बाजारों एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक चायनीज दीये की मांग हर साल बढ़ती ही जा रही है।

 

सबसे अधिक मेहनत मिट्टी के दीये

मिट्टी के दीये के लिये कुम्हारों को सबसे पहले को अच्छी मिट्टी खोदना पड़ती है। फिर उस मिट्टी में से कंकड़, कचरा आदि निकाल कर उसे गलाना पड़ता है तभी कहीं जाकर साफ सुधरी मिट्टी तैयार होती है और फिर शुरू होती है दीये को बनाने की शुरुआत उसके बाद उन्हें आग पर पकाकर गेरुआ रंग चढ़ाया जाता है। जब ये दीये बाजार में आते हैं तो उनके सामने चायनीज दीये अधिक सुंदर दिखते है। क्योंकि मिट्टी के दीये चक्के पर बनते हैं और चायनीज दीये मशीन पर तैयार किये जाते हैं। इसलिये चायनीज दीये आकर्षक और सुंदर दिखाई देते हैं।

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