पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की 39वीं संगोष्ठी
देशभर के प्रशिक्षण संस्थानों के प्रमुख हुए शामिल
भोपाल, 22 अक्टूबर. वर्तमान समय में तकनीक का चलन बढ़ा है, जिसका सहारा अपराधी भी ले रहे हैं. नया कानून लागू होने के बाद अब पीडि़त व्यक्ति भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर करवा रहे हैं. इस प्रकार के बदलावों के बाद पुलिस बल पर कार्यकुशलता का दबाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि पुलिस कर्मचारियों को लगातार आधुनिक तकनीक से प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वह अपना काम पूरी कुशलता के साथ कर सकें. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने यह बात मंगलवार को सीएपीटी के सभागार में कही. वह प्रशिक्षण संस्थान के प्रमुखों के 39वीं संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएण्डडी) के तत्वावधान में आयोजित इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के आयोजन का नेतृत्व आईपीएस राजीव कुमार शर्मा, महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, नई दिल्ली के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. इस दो दिवसीय संगोष्ठी में देशभर की पुलिस प्रशिक्षण अकादमियों के मुखिया जुटे हैं. संगोष्ठी का उद्देश्य बदलते समय में पुलिस बल की कुशलता को बढ़ाने के लिए किस तरह का प्रशिक्षण देना जरूरी है, इस पर चिंतन करना था. संगोष्ठी में सभी का स्वागत करते हुए सीएपीटी भोपाल के मुखिया किशोर यादव ने कहा कि अकादमी द्वारा पुलिसकर्मियों को लगातार प्रशिक्षित कर उन्हें नई-नई चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा रहा है. संगोष्ठी में विचार विमर्श के प्रमुख मुद्दे संगोष्ठी में राज्य पुलिस और केंद्रीय पुलिस संगठन के प्रशिक्षण प्रमुखों और प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया गया है. यहां ज्ञान का आदान-प्रदान और सहयोगात्मक चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा. प्रमुख रूप से मिशन कर्मयोगी के माध्यम से ई-लर्निंग की संस्कृति को बढ़ावा देना, दंगा ड्रिल और नागरिक पुलिस तकनीकों में प्रशिक्षण, साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा और एआई (आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस) की चुनौतियां और प्रशिक्षण आवश्यकताओं का विश्लेषण तथा प्रशिक्षण मॉड्यूल और प्रशिक्षण अंतराल का विश्लेषण करना है. गृह मंत्रालय के भेजा जाएगा निष्कर्ष संगोष्ठी में प्रशिक्षण आवश्यकताओं के विश्लेषण और प्रतिभागियों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके. प्रतिभागी वर्तमान रुझानों, सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों और नवाचारों का अन्वेषण करेंगे, जिसमें प्रशिक्षण विधियों, कौशल विकास, सहयोग और नीति रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. नैतिक विचार और प्रशिक्षण मूल्यांकन पर भी चर्चा की जाएगी, जिसका उद्देश्य पुलिस प्रशिक्षण में सुधार के लिए उपयोगी सिफारिशें उत्पन्न करना है. विचार-विमर्श के बाद सिफारिशों को नीति कार्यान्वयन के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएण्डडी) के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को भेजा जाएगा. यह वार्षिक संगोष्ठी भारत भर के पुलिस बलों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करने की दिशा में सार्थक कदम है, जो प्रशिक्षण उत्कृष्टता के लिए भविष्य की रणनीतियों को आकार देने में मदद करेगी.