आधुनिक जीवन शैली और प्राचीन ज्ञान के बीच एक सेतु है आयुर्वेद: चंद्रचूड़

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि आधुनिक जीवन शैली और प्राचीन चिकित्सा विज्ञान के बीच आयुर्वेद एक सेतु है।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ” एडवांसमेंट ऑफ़ रिसर्च एंड ग्लोबल ऑपेरटूनिटी फॉर होलिस्टिक आयुर्वेदा” – आरोहा 2024″ का उद्घाटन करते हुए कहा कि आधुनिकता और परंपरा के बीच आयुर्वेद एक आंदोलन है। इसमें प्राचीन ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का संगम है। इसमें चिकित्सा तकनीक भी शामिल है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के इस संगम ने आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक परिदृश्य पर स्थापित कर दिया है‌ और इसे आरोग्य की दुनिया में विशेष स्थान मिला है ।
इस अवसर पर केंद्रीय आयुष मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव, आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक औषधि अनुसंधान केन्द्र की निदेशक डा श्यामा कुरुविल्ला उपस्थित रही। इसके साथ ही इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलेरी साइंसेज नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एस के सरीन और पधश्री एवं पद्म भूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा भी कार्यक्रम में शामिल थे।श्री जाधव ने कहा कि आयुर्वेद को वैज्ञानिकता के साथ जोड़ना और उसके लिए ठोस सबूत जुटाना इस वक्त की सबसे समय बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के लिए पर प्रतिबद्ध है और इसके लिए हर संभव सहयोग उपलब्ध कराएगी।

संस्थान की निदेशक डा तनुजा नेसारी ने कहा कि इस वैश्विक सम्मेलन में दुनिया के तमाम देशों के प्रतिनिधि आयुर्वेद पर चर्चा करने के लिए भारत में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि 19 अक्टूबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में 16 वैज्ञानिक सत्र और संगोष्ठी, परिचर्चा और पूर्ण अधिवेशन शामिल हैं। कार्यक्रम में जापान , कोलंबिया, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी श्रीलंका, अर्जेंटीना जैसे देशो से काफी संख्या में विशेषज्ञ आमंत्रित किये गए हैं। इसके अलावा देशभर से एक हज़ार से अधिक आयुर्वेद के विद्वान्, शिक्षक, छात्र, चिकित्सक शामिल हो रहे हैं ।
डा नेसरी ने कहा सम्मेलन के एजेंडे में विषयों में आयुर्वेद, एथनोमेडिसिन के जटिल क्षेत्रों और गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण, निदान, दवा वितरण और साक्ष्य-आधारित समझ और वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए नवाचारों में प्रगति शामिल है। सम्मेलन में तीन दिन की कार्यशाला भी होगी जिनमें 400 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किये जायेंगे।

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