० जिला अस्पताल बचावा, जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली के सामने अस्पताल बचावा जिउ बचाव सत्याग्रह का किया आयोजन
नवभारत न्यूज
मझौली 14 अक्टूबर। जिला अस्पताल बचावा, जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा द्वारा आज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली के सामने अस्पताल बचावा जिउ बचाव सत्याग्रह का आयोजन किया गया। सत्याग्रह में क्षेत्रीय ग्रामीणो उपस्थिति रही।
अस्पताल बचावा जिउ बचाव सत्याग्रह में आए ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात रखते हुए टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि प्रत्येक जिले की आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मुख्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निर्भर रहती है और जनता को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना सरकार और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है। सीधी जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए जिला अस्पताल को निजी हितधारकों को देने की प्रक्रिया राज्य शासन द्वारा शुरू की गई है। प्रत्येक जिले में जिला अस्पताल जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रमुख केन्द्र होता है और यहां से सार्वजनिक स्वास्थ्य की कई महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन होता है और साथ ही साथ जिले की गरीब और जरूरतमन्द जनता के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को पाने का एक महत्वपूर्ण संस्थान है। जिला अस्पताल को निजी हाथों में देने से जिले की जनता के लिए यह एक घातक कदम होगा और जनता की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी संस्थानो को प्राथमिकता देना सरकार का अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों से पीछे हटना तथा संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार स्वास्थ्य राज्य का विषय है और इसके अनुसार प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। धरने को संबोधित करते हुए सरोज सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार जिला अस्पताल का निजीकरण करके गरीबों के साथ घात कर रही है, सरकारी अस्पताल कैसी भी हो पर गरीबों के लिए एक उम्मीद थी। लेकिन सरकार के इस निर्णय से निराशा हुई है निजी अस्पताल में मनमाना पैसा दिया जाता है यहां तक कि मृतक का शरीर भी बिना पैसा नहीं देते। का.बलराज सिंह ने कहा कि रेल, हवाई, तेल तो सरकार बेच ही रही है हम आदिवासियों का जहां वजूद जुड़ा है जल, जंगल, जमीन को भी बेच रहे हैं। अस्पताल बेचने का जो निर्णय किया गया है हम आदिवासी इसके विरोध में अंतिम दम तक संघर्ष करेंगे।
शिवम कुमार सिंह ने कहा कि आज जो महंगाई है वह निजीकरण का ही दुष्परिणाम है, आज सरकार जिला अस्पताल को निजी हाथों में सौंप कर हम आदिवासियों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने जा रही है। अपनी बात रखते हुए विवेक कॉल ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के 10 जिला अस्पतालों को निजीकरण में दे रही है। यह वही जिले हैं जहां गरीब हैं, दलित हैं, आदिवासी हैं। घनश्याम दीक्षित ने कहा कि धिक्कार है ऐसे शासन-प्रशासन को जिसके द्वारा ऐसा जन विरोधी निर्णय लिया जा रहा है। धरने को प्रभात वर्मा, ज्योति नामदेव, विकाश नारायण तिवारी, धर्मराज सिंह, उमा सिंह, सविता सिंह, रानी सिंह, विजय सिंह, शंकर दयाल शुक्ला आदि ने भी सबोधित किया। आभार द्वारिका बैस ने किया। सत्याग्रह धरने का संचालन राजकुमार तिवारी ने किया। धरने के बाद प्रदेश के राज्यपाल के नाम का 6 सूत्रीय ज्ञापन पत्र तहसीलदार को सौंपा गया।
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ज्ञापन पत्र में शामिल मांगें
ज्ञापन पत्र में मांग की गई है कि जिला अस्पताल सीधी के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। मझौली सामुदायिक स्वस्थ केन्द्र एवं इसके अंतर्गत आने वाले प्रथमिक स्वाथ्य केन्द्र में रिक्त पदों पर डॉक्टर, महिला डॉक्टर और अन्य स्टाफ की पदस्थापना किया जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली में एक्स-रे मशीन ऑपरेटर की पदस्थापना कर एक्स.रे मशीन का संचालन सुनिश्चित किया जाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मड़वास को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया जाए। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गिजवार और टिकरी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन सुनिश्चित किया जाए। मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र क्षेत्र अंतर्गत अवैध क्लीनिक, बंगाली डॉक्टर कि एवं अवैध मेडिकल स्टोर की जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाए।
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