कलेक्ट्रोरेट में आयोजित जनसुनवाई में पीड़ितों को नहीं मिल रहा न्याय, खानापूर्ति में जुटा प्रशासन, एमपीईबी, राजस्व एवं विस्थापितों की सर्वाधिक शिकायते
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 8 अक्टूबर। 140 किलोमीटर की परिधि के इस जिले की जनता कलेक्टर के यहां न्याय की उम्मीद लेकर हजारों रुपए खर्च करके पहुंचती है कि शायद कलेक्टर साहब के यहां न्याय मिल जाए । किन्तु जनता जो उम्मीद की किरण लेकर जनसुनवाई में पहुंचती है और न्याय नहीं मिलता तो प्रशासन से भरोसा टूट जाता है ।
आज दिन मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई में कई पीड़ितों ने कहा न्याय के लिए आते हैं लेकिन निराकरण नहीं होता है। सिर्फ जिला प्रशासन खानापूर्ति करते हुए औद्योगिक घरानों की पीठ थपथपाने में लगा है। ऐसे में साफ जाहिर होता है कि जिला प्रशासन इस महत्वाकांक्षी जनसुनवाई को सिर्फ मजाक बना दिया है। इधर बता दे की जनसुनवाई में कलेक्टर के पास फरियाद करने एक बार नहीं पांच-पांच बार आवेदन पीड़ित देते हैं की न्याय मिल जाएगा । परन्तु अधिकांश आवेदनों में ऐसा नही हो रहा है। कुछ ऐसी झलकियां सामने आई। जहां पीड़ित कह रहे हैं कि साहब हल्का पटवारी नक्शा का नकल बनाने में आनाकानी कर रहे हैं। कई बार उनके पास चक्कर लगाने के बाद भी समाधान नहीं हुआ। उनकी ओर से धमकी दी जा रही है कि शिकायत करोगे तो जमीन संबंधी रिकॉर्ड ऐसा बिगाड़ेंगे कि कई पीढ़ी सुधार कराने में परेशान रहेगी। कई बार माड़ा तहसीलदार को इस संबंध में अवगत कराया गया है। लेकिन शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जनसुनवाई में चौथी बार शिकायत लेकर आया हूं। कोयलखूंथ निवासी बरनेस शाह पिता विश्वनाथ शाह मंगलवार जनसुनवाई कुछ इसी तरह की गुहार लगाते नजर आए। इस दौरान शिकायतकर्ता को जिला प्रशासन की ओर से समस्या का समाधान कराने के लिए आश्वस्त किया गया है। जनसुनवाई में पहुंचे कई दूसरे पीड़ितों का भी यही हाल है। बता दें कि जनसुनवाई की तारीख बदल जाती है मगर शिकायतकर्ताओं के चेहरे नहीं बदलते हैं। पहुंचने वाले आवेदकों में चार से पांच बार न्याय की गुहार लगा चुके हैं। मंगलवार का दिन शिकायतकर्ताओं के लिए सुकून भरा महसूस होता है। उन्हें उम्मीद रहती है कि शायद आज जनसुनवाई में न्याय मिल जाए। किन्तु ऑफिसरों की कवायद शिकायतकर्ताओं के आवेदन पर संबंधित विभाग को लिखने तक सीमित रह गई है। कभी ऐसा नहीं हुआ कि बार-बार जनसुनवाई का चक्कर काट रहे पीड़ितों के आवेदन प्राप्त होने पर संबंधित विभाग के अफसरों से निराकरण नहीं किए जाने का कारण पूछा जाए। यही वजह है कि दूर-दराज की जनता अपना सब काम छोड़कऱ साहबानों के दरबार में एक नहीं कई बार चक्कर लगा रही है। फिर भी उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है। वैसे तो जनसुनवाई में सभी तरह की शिकायतें पहुंच रही हैं। किन्तु सबसे अधिक शिकायतें राजस्व एवं विस्थापितों की रहती हैं।
केस नं.1:- तीन साल से चक्कर लगा रहे रामलखन
एनटीपीसी विन्ध्यनगर ने बलियरी में भूमि अधिग्रहण किया था। जहां रामलखन शाह पिता राम सहाय निवासी का मकान बना हुआ था। लेकिन भूमि अधिग्रहण के समय मकान का मुआवजा नहीं बना। लगातार एनटीपीसी की शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन और एनटीपीसी ने 12 जनवरी 2021 को सामुदायिक भवन बिलौंजी में विशेष जनसुनवाई का आयोजन किया था। जिसमें फरियादी भी पहुंचा था। इसके मामले में 15 दिवस के अंदर निराकरण की बात कही थी। लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी राम लखन अपने छूटे हुए मकान के मुआवजे के लिए जनसुनवाई के चक्कर लगाना पड़ रहा है।
केस नं. 2:- राखड़ डैम से हो रहा सीपेज
एनटीपीसी विन्ध्यनगर ने बलियरी में राखड़ बांध का निर्माण कराया गया है। राखड़ बांध में भ्रष्टाचार का सीपेज है। जिससे पानी के साथ राख सीपेज हो रहा है। राखड़ डैम से लगी जमीनें बंजर हो रही है। अब जनसुनवाई में बलियरी निवासी हीरालाल शाह ने शिकायत की है कि एनटीपीसी द्वारा बनाये गये राखड़-बांध के लिकेज से जमीन और मकान प्रभावित हो रहा है। पीड़ित ने बताया कि भूमि और मकान राखड़-बांध एवं रिहन्द बांध के बीच में होने से एनटीपीसी के कारण पूरा का पूरा निस्तार अवरूद्ध हुआ है। जिसका क्षतिपूर्ति के साथ अर्जन कर न्याय दिलाने की मांग की है।
केस नं. 3:- पटवारी के मनमानी से कास्तकार परेशान
सरकार भले ही नामांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने और पटवारियों की मनमानी रोकने के लिए प्रयास कर रही है। बावजूद इसके पटवारी मनमानी पर उतारू है। चितरंगी तहसील अंतर्गत फरियादी संजीत कुमार सिंह निवासी नौढ़िया ने नामांतरण करने की गुहार लगाई है। फरियादी ने कहा कि महदेइया में 27 अक्टूबर 23 को जमीन क्रय की थी। 2 मई 24 को दुधमनिया तहसील में आवेदन दिया गया। करीब दो महीने बाद दुधमनिया तहसीलदार ने भूमि का नामांतरण आदेश पारित किया और हल्का पटवारी को आरसीएम पोर्टल पर अभिलेख दुरुस्त करने का आदेश दिया। फिर भी भूमि का नामांतरण आदेश होने के चार महीने बाद भी महदेइया पटवारी संतोष बंसल से खसरे में नाम नहीं दर्ज कर पाए।
केस नं. 4:- अतिथि शिक्षक नियुक्ति में हेरफेर का आरोप
शाप्रा शाला बरगवां में अतिथि शिक्षक की नियुक्ति में प्रधानाध्यापक ने जमकर मनमानी की है। साल 2019 से अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य कर रही मंजू पाठक की नियुक्ति नहीं करते हुए सातवें नंबर वाले व्यक्ति शिवकुमार मूर्तियां का चयन कर लिया। मेरिट सूची में पहले नंबर पर ज्ञानेंद्र कुमार पाठक और दूसरे नंबर पर मंजू पाठक का नाम है। लेकिन ज्ञानेंद्र पाठक किन्हीं कारणों बस ज्वाइन नहीं किया। जहां नियमानुसार मेरिट सूची में रहे दूसरे व्यक्ति की नियुक्ति स्वत: ही हो जाना चाहिए। एचएम की मनमानी की शिकायत अतिथि शिक्षक ने डीईओ से की थी। जहां मंजू पाठक के पक्ष में निर्णय हुआ। लेकिन प्रधानाध्यापक ने अतिथि शिक्षक से सिर्फ दो दिन काम लेकर निकाल दिया। अब वह कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है।