सीबीआई ने 32 ठिकानों पर छापेमारी कर 26 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया

नयी दिल्ली 30 सितम्बर (वार्ता) केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध नेटवर्क चलाने वाले गिरोह के अलग- अलग शहरों में 32 ठिकानों पर छापामारी करते हुए 26 लोगों को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि एजेन्सी ने इस साइबर अपराध नेटवर्क के बारे में जानकारी मिलने के बाद 26 सितम्बर को विशेष अभियान चलाया था। एजेन्सी ने पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद और विशाखापत्तनम में 32 अलग-अलग स्थानों पर छापे मारकर तलाशी ली। सीबीआई ने चार अवैध कॉल सेंटरों रीजेंट प्लाजा, पुणे में मेसर्स वी.सी. इन्फ्रोमेट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मुरली नगर, विशाखापत्तनम में मेसर्स वी.सी. इन्फ्रोमेट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद में मेसर्स वियाजेक्स सॉल्यूशंस और , विशाखापत्तनम में मेसर्स अटरिया ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में चल रही ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों में शामिल 170 लोगों को रंगे हाथ पकड़ा और उनसे पूछताछ की।

पूछताछ के आधार पर जांच एजेन्सी ने 26 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमेें पुणे से 10, हैदराबाद से पांच और विशाखापत्तनम से 11 गिरफ्तारियां शामिल हैं। अवैध कॉल सेंटरों के कर्मचारियों से पूछताछ और जांच की जा रही है।

सीबीआई ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 और 318, 2023 तथा 66-डी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया है।

इन कार्रवाइयों के दौरान महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है। इस साइबर अपराध नेटवर्क द्वारा आपराधिक गतिविधि और पीड़ितों को धोखा देने के लिए उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल फोन, लैपटॉप, वित्तीय जानकारी, संचार रिकॉर्ड और आपत्तिजनक सामग्री सहित 951 वस्तुएं और 58 लाख 45 हजार रुपये नकद, लॉकर की चाबियां और तीन लग्जरी गाड़ियां बरामद की गई हैं।

ये साइबर अपराधी कई प्रकार की अवैध गतिविधियों में शामिल थे, जिसमें तकनीकी सहायता सेवाओं के रूप में प्रतिरूपण करना और पीड़ितों से संपर्क करना शामिल था। पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया गया कि उनकी पहचान चुरा ली गई है और उनके बैंक खातों में बड़ी संख्या में अनधिकृत लेनदेन किए जा रहे हैं। पीड़ितों को झूठा विश्वास दिलाया गया कि वे कथित तौर पर दिए गए संदिग्ध आदेशों के कारण कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी में थे।

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