जयपुर 28 सितंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि संविधान में लिखित ‘कानून के समक्ष समानता’ लंबे समय तक अमल से दूर थी लेकिन यह अब एक जमीनी हकीकत बन गई हैं।
श्री धनखड़ शनिवार को यहां इंडिया इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद कर रहे थे। उन्होंने देश में कानून के समान अनुप्रयोग की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि संविधान में लिखित ‘कानून के समक्ष समानता’ लंबे समय तक अमल से दूर थी, कुछ लोगों का मानना था कि कानून के मामले में वे उससे ऊपर हैं, वे दूसरों की तुलना में विशेष हैं और कानून की पहुंच से परे हैं लेकिन वर्तमान में एक बड़ा बदलाव हुआ है कि कानून के समक्ष समानता अब एक जमीनी हकीकत है।
उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार, वंशावली, वह विशेष वर्ग जो कोई भी यह विचार रखता था कि उन्हें कानून से छूट प्राप्त है, उन्हें अब कानून के प्रति जवाबदेह बनाया जा रहा है। यह एक बड़ा बदलाव है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी समाज जब भ्रष्टाचार से संचालित होता है अथवा एक ऐसी प्रणाली द्वारा संचालित होता है जहां भ्रष्टाचार के बिना आपको नौकरी नहीं मिल सकती है, वह निश्चित रूप से युवाओं के उत्थान के विरुद्ध है। भ्रष्टाचार प्रतिभाशाली लोगों के खिलाफ़ है। भ्रष्टाचार योग्यता तंत्र को निष्क्रिय कर देता है। उन्होंने कहा कि एक बड़ा परिवर्तन हुआ है। सत्ता के गलियारे जो एक समय भ्रष्ट संपर्क तत्वों से ग्रस्त थे। वे लोग जिन्होंने निर्णय लेने में कानूनी रूप से अतिरिक्त लाभ उठाया एवं जिन्होंने योग्यता पर विचार किए बिना नौकरियां प्रदान कीं उन्हें निष्प्रभावी कर दिया गया है। अब देखा होगा कि देश में आज पारदर्शी जवाबदेह शासन है और इसे गांवों तक तकनीकी पहुंच के कारण लाना संभव हो सका है जहां बिना किसी मध्यस्थ के धन हस्तांतरित किया जाता है।