कहीं दीप जले कहीं दिल, अब तक पेंडिंग है शिव ज्योति अर्पणम का बिल

ठेकेदारों का बकाया भुगतान न होने से उपजा रोष, आरोप लगाकर बोले-क्या खाली हुआ नगर निगम का कोष

 

उज्जैन। जब रामघाट पर 30 लाख दिए एक साथ जल उठेंगे तो कितने घाट रोशन होंगे और कितना उजाला होगा यह तो सर्टिफिकेट प्रदान करने वाले संस्था ही बता पायेगी। बावजूद इसके इस कार्यक्रम में अपनी जेब से पैसा खर्च कर आयोजन को सफल बनाने वालों के दिल जरूर जल उठे हैं।

नवभारत द्वारा ली गई जानकारी में सामने आया कि पिछले दो बार के शिव ज्योति अर्पणम में सामग्री उपलब्ध कराने से लेकर अन्य कार्यों को करने वाले वेंडरों व ठेकेदारों का अब तक भुगतान नहीं हो पाया है और इस बार फिर 4 माह का कार्यक्रम सामने आ गया है। इस आयोजन को लेकर बैठकों को दौर शुरू हो चुका है और ड्यूटी का चार्ट भी बनाया जा चुका है।

 

दिया और बाती में बड़ा खर्च

जब से शिव ज्योति अर्पण कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं उसके लिए दिए, तेल, बाती, लकड़ी, माचिस, रूई आदि की आवश्यकता होती है। इन सब सामग्री को जुटाने के लिए निगम द्वारा अलग-अलग ठेकेदारों और वेंडरों को यह काम सौंपा जाता है। परिवार का भरण पोषण करने और थोड़ी बहुत राशि मिलने के चक्कर में ठेकेदार हामी भर लेते हैं और जुट जाते हैं कार्यक्रम को सफल बनाने में। इधर रिकार्ड बन जाते है, सर्टिफिकेट मिल जाते हैं तालियां बज जाती हैं नेता और जनप्रतिनिधि अपने-अपने घर चले जाते हैं। फिर बारी होती है अफसरों के सामने अपनी फाइल लाकर बिल भुगतान की, जिसमें चप्पल घिस जाती है लेकिन दिया और बाती का भुगतान नहीं हो पाता है।

 

यूं तो तय कार्यक्रम के अनुसार जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि 26 फरवरी से 5 जून तक सतत उज्जैन व्यापार मेला और शिव ज्योति अर्पण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार हो गई है। जिसमें 30 लाख दिए प्रज्जवलित किए जाएंगे। विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा और गंगा दशहरा पर विक्रम उत्सव का समापन होगा। इसी कार्यक्रम के तहत जब ठेकेदारों और वेंडरों से पुराने भुगतान पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि कहीं दीप जलेंगे कहीं दिल। विदित हो कि इसके पूर्व भी रामघाट पर यह आयोजन हो चुका है और उसमें रिकॉर्ड भी बन चुका है। जिसके चलते उज्जैन नाम रोशन हुआ और अखबारों में काफी सुर्खियां भी बंटोरी थी।

 

बड़ा खर्च, राशि देने में क्या हर्ज

50 लाख के आसपास का डेकोरेशन, 5 लाख के आसपास एयर बलून, इंटरनेट लाइव एलईडी वॉल, दिए, तेल, कपूर, माचिस, लकड़ी किमची, भोजन, पानी, फूलों की सजावट, आतिशबाजी, टेंट तंबू कुर्सी, माइक, साउंड, सांस्कृतिक प्रस्तुति के अंतर्गत कलाकार और उनका दल, फ्लेक्स, प्रचार प्रसार इन सब में बड़ी राशि खर्च होती है। कुल 5 से 8 करोड़ की राशि खर्च होती है। बावजूद इसके भुगतान करने में जनप्रतिनिधि और अफसर पल्ला झाड़ लेते हैं।

 

इनका कहना है

 

कुछ राशि बकाया है, जिसका भुगतान जल्द कर दिया जाएगा।

-आशीष पाठक, आयुक्त नगर निगम

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