नयी दिल्ली, 25 सितंबर (वार्ता) वर्ष 2023-24 में मुख्य फसलों की पैदावार रिकाॅर्ड 3322़ 98 लाख टन खाद्यान्न होने का अनुमान है जिसमें 1378.25 लाख टन रिकाॅर्ड चावल और 1132.92 लाख टन रिकाॅर्ड गेहूँ की पैदावार होने की संभावना है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को वर्ष 2023-24 के लिए मुख्य फसलों की पैदावार के अंतिम अनुमान जारी करते हुए कहा कि इस अवधि में देश में कुल खाद्यान्न पैदावार रिकॉर्ड 3322.98 लाख टन अनुमानित है जो वर्ष 2022-23 के दौरान प्राप्त 3296.87 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 26.11 लाख टन अधिक है। चावल, गेहूं और श्रीअन्न के अच्छे उत्पादन के कारण खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 के दौरान चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 1378.25 लाख टन अनुमानित है। यह पिछले वर्ष के 1357.55 लाख टन चावल उत्पादन से 20.70 लाख टन अधिक है। वर्ष 2023-24 के दौरान गेहूँ का उत्पादन रिकॉर्ड 1132.92 लाख टन अनुमानित है। यह पिछले वर्ष के 1105.54 लाख टन गेहूं उत्पादन से 27.38 लाख टन अधिक है और श्री अन्न का उत्पादन पिछले वर्ष के 173.21 लाख टन उत्पादन की तुलना में 175.72 लाख टन अनुमानित है।
वर्ष 2023-24 के दौरान महाराष्ट्र समेत दक्षिणी राज्यों में सूखे जैसे हालात रहे और अगस्त के दौरान खासकर राजस्थान में लंबे समय तक सूखा रहा। सूखे से नमी की कमी ने रबी सीजन को भी प्रभावित किया। इसका मुख्य रूप से दालों, मोटे अनाज, सोयाबीन और कपास के उत्पादन पर असर पड़ा।
आंकड़ों में कहा गया है कि वर्ष 2023-24 में पोषक एवं मोटे अनाज की पैदावार 569.36 लाख टन और मक्का की 376.65 लाख टन रहने का अनुमान है। कुल दलहन की कुल पैदावार 242.46 लाख टन रहने की संभावना है। इसमें तूर 34.17 लाख टन और चना- 110.39 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
कुल तिलहन की पैदावार 396.69 लाख टन होगी जिसमें मूंगफली 101.80 लाख टन , सोयाबीन 130.62 लाख टन,रेपसीड एवं सरसों रिकार्ड 132.59 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है।
इसी अवधि में गन्ना की पैदावार 4531.58 लाख टन, कपास की 325.22 लाख गांठें (प्रति 170 कि. ग्रा.) और पटसन एवं पटसन की 96.92 लाख गांठें (प्रति 180 कि. ग्रा.) रहने का अनुमान है।
मंत्रालय ने कहा है कि यह अनुमान मुख्य रूप से राज्य और संघ राज्यों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। फसलों के क्षेत्रफल को रिमोट सेंसिंग, साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह और अन्य एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के साथ समेकित किया गया है। फसल पैदावार के अनुमान राष्ट्रीय स्तर पर किए गए फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर हैं। नयी प्रणाली ने उपज अनुमानों की पारदर्शिता और मजबूती सुनिश्चित की गयी है।