भारत को हिल्सा मछली का निर्यात नहीं करेगा बंगलादेश

ढाका 20 सितंबर (वार्ता) बंगलादेश ने दुर्गा पूजा के अवसर पर विशेष रूप से भारत भेजी जाने वाली स्वादिष्ट हिल्सा मछली के वर्षों पुराने निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है।

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि निर्यात प्रतिबंध का उद्देश्य स्थानीय बाजार में मछली के शौकीन लोगों के बीच सिल्वर डिलाइट – जो बंगलादेश और भारत के कुछ हिस्सों में एक क्रेज है – की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

द डेली स्टार के अनुसार बंगलादेश की छह सप्ताह पुरानी अंतरिम सरकार का रुख शेख हसीना के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती अवामी लीग सरकार से बिल्कुल अलग है, जिसे पिछले महीने छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह में उखाड़ फेंका गया था।

विश्व में हिल्सा का सबसे बड़ा उत्पादक बंगलादेश अपने पड़ोसी के प्रति सद्भावना के तौर पर पूजा के मौसम में मछली पर निर्यात प्रतिबंध को लगभग नियमित रूप से वर्षों से हटाता रहा है।

पूर्वी भारत में हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव के दौरान ढाका से हिल्सा की खेप को भारतीय लोगों के लिए उपहार के रूप में माना जाता है।

एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा “ हमारे पास भारत को मछली निर्यात करने के लिए लगभग 50 आवेदन लंबित हैं लेकिन हमें मत्स्य मंत्रालय से कोई निर्यात अनुमति नहीं मिली है। नीति के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय संबंधित मंत्रालय के परामर्श से किसी भी वस्तु के निर्यात को मंजूरी देता है।”

उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय ने इस साल हिल्सा के निर्यात पर रोक लगा दी है।

मत्स्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में बंगलादेश ने भारत को 70.71 लाख डॉलर में 664.86 टन हिल्सा निर्यात किया , जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में 130.68 लाख डॉलर मूल्य की 1,376.42 टन हिल्सा का निर्यात किया गया था।

मत्स्य पालन के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 5,66,593 टन हिल्सा का उत्पादन किया गया।

अगस्त और सितंबर में, जब मछलियां अंडे देने के लिए बंगाल की खाड़ी से नदियों में प्रवेश करती हैं, तो हिल्सा को जलमार्गों से जाल में फंसाया जाता है। बंगलादेश के प्रमुख समाचार आउटलेट ने बताया कि हर साल मछुआरे 6,00,000 टन तक मछलियां पकड़ते हैं, जिनमें से ज़्यादातर मछलियां समुद्र से पकड़ी जाती हैं।

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