पंडित प्रदीप मिश्रा के ब्रेन में सूजन आई, मनासा में मंच से कहा-किसी ने गुलाल की जगह नारियल फेंका, 7 दिवसीय कथा निरस्त

मनासा:कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सिर पर नारियल लगने के कारण उनके ब्रेन में सूजन आ गई है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी है। सोमवार को खुद पंडित प्रदीप मिश्रा ने इसका खुलासा किया।उन्होंने कहा- 29 मार्च को आष्टा में महादेव होली खेली गई थी। इस दौरान गुलाल की जगह कोई नारियल फेंका गया। जिसके कारण ब्रेन में थोड़ी दिक्कत आ गई। अंदर की तरफ चोट लगने के कारण ब्रेन में सूजन हो गई है। डॉक्टरों ने कहा है कि दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं देना है। जब तक डॉक्टर परमिशन नहीं देते हम कथा नहीं कर सकते।पंडित प्रदीप मिश्रा सोमवार को नीमच के मनासा में शिव महापुराण कथा करने पहुंचे थे। जहां उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर कथा निरस्त कर दी। पंडित मिश्रा ने कहा कि अगले साल वे फिर से मनासा आएंगे और कथा सुनाएंगे।
अस्पताल से छुट्टी करवा कर मैं आपके बीच आया
पंडित मिश्रा ने कहा- आप हमारे दीदी हो, आप हमारे जीजा हो, भाई के दर्द को आप लोग जानते हैं। आप सब लोग यहां पहुंचे। आप सब लोगों को कष्ट हुआ। केवल वचन को निभाना था, इसलिए अस्पताल से छुट्टी करवा कर मैं आप लोगों के बीच में आया हूं। उन्होंने कहा कि अगले साल विठलेश सेवा समिति कथा करने के लिए मनासा आएगी। उन्होंने कहा कि हमको थोड़ा बहुत भी अच्छा लगता है, तब ही आगे की कथाएं करेंगे, नहीं तो जो कथाएं आगे भी होने वाली थी वो कैंसिल हो जाएंगी।
मायूस होकर लौटे लोग, कई महिलाएं रोने लगी
मनासा में 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक कथा का आयोजन होना था। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। 31 मार्च रविवार को शहर में कलश यात्रा भी निकाली गई थी। कथा सुनने पहले ही दिन करीब 50 हजार लोग कथा पंडाल पहुंचे थे। लेकिन पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा निरस्त करने की घोषणा के बाद वे मायूस होकर लौटे। कुछ महिलाओं की आंखों में आंसू आ गए और वे रोने लगीं। बड़ी संख्या में कथा सुनने आए लोगों के चलते सडक़ों पर जाम के हालात भी बन गए। पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था बनाने के लिए सडक़ों पर मशक्कत करती नजर आई।
व्यवस्थाओं को लेकर भी बनी असमंजस की स्थिति
शुरुआत से ही कथा के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति रही। पहले प्रशासन ने 11 बिंदुओं पर कथा की अनुमति दी थी। लेकिन आयोजन के कुछ दिन पूर्व तक भी व्यवस्थाएं संतोषजनक नहीं होने पर प्रशासन ने अनुमति को निरस्त कर दिया था। इसके बाद शहर के सामाजिक संगठन, राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से चर्चा की। स्थानीय विधायक ने मुख्यमंत्री तक को अनुमति दिए जाने के संबंध में पत्र लिखा था। जिसके बाद प्रशासन ने कथा की अनुमति दी थी।

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