प्रस्तावित राशि की राह तक रहा शास्त्री ब्रिज

 तीन सालों से नहीं मिल पाई स्वीकृति
ऐसा होता फ्लाईओवर
145 करोड़ निर्माण लागत
1700 मीटर होती लंबाई
20 मीटर होती चौड़ाई
38 मीटर हिस्सा रेलवे का क्षेत्र
2021 के प्रस्तावित आंकड़े
 
जबलपुर: शहर के एक हिस्से को दूसरे हिस्से से जोडऩे वाला शास्त्री ब्रिज अब बूढ़ा हो चुका है। इस ब्रिज को अपना स्वरूप अब बदलने की दरकार है। शहर का सबसे पुराना और व्यस्ततम शास्त्री ब्रिज देखरेख के अभाव के चलते जर्जर हो गया है। जिसको देखते हुए आज से तीन साल पहले नए फ्लाईओवर का डीपीआर तैयार किया गया था। जिसके बन जाने से शास्त्री पुल पर यातायात का दबाव कम होता और यातायात भी सुगम रहता लेकिन प्रशाशन की ढिलाई के चलते यह प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। प्रस्ताव के समय लोक निर्माण विभाग सेतु ने करीब 145 करोड़ रुपये निर्माण की लागत बताई थी। जिसके लिए जल्द निविदा निकालने के लिए तैयारी भी की जा रही थी। लेकिन देखते ही देखते इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया था। यहां से हर दिन हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं और पुल की चौड़ाई कम होने के कारण जाम के हालात बनते हैं।
6 दशक पुराना है ब्रिज
नगर के सबसे व्यस्ततम ब्रिज में से एक शास्त्री ब्रिज का निर्माण 1962 में शुरू हुआ और 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसका लोकार्पण किया और उन्हीं के नाम पर इस ब्रिज का नाम शास्त्री ब्रिज रखा गया था। आज यह ब्रिज तकरीबन 60 साल पुराना हो चला है और इतने वक्त में ब्रिज की स्थिति जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह से ब्रिज का क्रंकीट उखडऩे लगा है। कायदे से इसकी उम्र लगभग पूरी हो चुकी है। जानकारों की माने तो  रेलवे की ओर से पहले ही जमीन सेतु निर्माण के पास है इसलिए अलग से जमीन संबंधी स्वीकृति की जरूरत नहीं होती। ऐसे में अगर जिम्मेदार ठान लेते तो यह फ्लाईओवर कब का बन जाता।
उगी झाडिय़ां, टूटी सीढिय़ां
मॉडल रोड से महानद्दा मदन महल को जोडऩे वाले मार्ग के बीच में बना शास्त्री पुल का सही ढंग से मेंटेनेंस ना होने के कारण अब इस ब्रिज के दोनो ओर दीवारों पर बड़ी-बड़ी झाडिय़ां उग आई हैं और ब्रिज के साइड से बनी सीढिय़ां भी जगह-जगह से टूट चुकी हैं। बरसात के मौसम में यह ब्रिज और सीढिय़ां और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं।
ऐसा होता फ्लाईओवर
सूत्रों के अनुसार आज से तीन साल पहले लोक निर्माण विभाग के अनुसार फ्लाईओवर की लंबाई 1700 मीटर तय की गई थी और इसकी चौड़ाई लगभग 20 मीटर होनी थी और सिर्फ 38 मीटर का हिस्सा रेलवे क्षेत्र से गुजरना था। यह फ्लाईओवर पुराने बस स्टैंड के आगे पेट्रोल पंप से  प्रारंभ होता जो मेडिकल रोड पर आकर समाप्त होता। इसका फायदा बस स्टैंड से महानद्दा मेडिकल की ओर जाने वाले वाहनों को मिलता जो सीधे फ्लाईओवर के जरिए बाहर निकल जाते। इस ब्रिज को भी लोक निर्माण विभाग द्वारा जीर्णोद्वार किया जाना था। पूर्व की कांग्रेस शासन में शास्त्री ब्रिज पर तीन फ्लाईओवर निर्माण की योजना बनाईं गई थी लेकिन भाजपा शासन के आते ही इसकी डिजाइन में बदलाव किया गया था।
इनका कहना है
शास्त्री पुल पर नए ब्रिज का निर्माण शीघ्र होना है एवं पुराने पुल का मेंटेनेंस भी किया जाएगा। रही बात नए ब्रिज की तो मैं इस पर फॉलो अप लेकर आपको जानकारी देती हूं।
प्रीति यादव, कमिश्नर, जबलपुर

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