नयी दिल्ली 07 सितंबर (वार्ता) केंद्र सरकार ने विवादों में घिरी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की 2023 के महाराष्ट्र कैडर की अधिकारी पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।
खेडकर पर धोखाधड़ी करने और सेवा में अपना चयन सुनिश्चित करने के लिये अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांगता कोटा लाभों का गलत तरीके से लाभ उठाने का आरोप था, लेकिन उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया था। केंद्र ने छह सितंबर के आदेश के तहत आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत खेडकर को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सुश्री खेडकर, आईएएस प्रोबेशनर (एमएच:2023) द्वारा सीएसई-2012 से सीएसई-2023 के बीच अपने सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) आवेदन पत्रों में प्रस्तुत की गयी जानकारी के अनुसार पाया गया है कि उन्होंने सीएसई में अपनी दावा की गयी श्रेणी (ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी) में अधिकतम अनुमेय नौ (09) प्रयासों की संख्या से अधिक प्रयास किये थे। उन्होंने 2012 और 2020 के बीच यानी सीएसई-2022 से पहले सिविल सेवा परीक्षाओं का प्रयास करके अधिकतम अनुमेय नौ (09) को समाप्त कर दिये थे।
अधिसूचना में कहा गया है, “ सीएसई नियम 2022 के नियम 3 में विभिन्न श्रेणियों से संबंधित उम्मीदवार के लिये अनुमेय प्रयासों की अधिकतम संख्या निर्धारित की गयी है। ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी के लिए यह नौ (09) प्रयास है।” अधिसूचना में कहा गया है कि आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 में किसी प्रोबेशनर को सेवा में भर्ती होने के लिये अयोग्य पाये जाने के आधार पर छुट्टी देने का प्रावधान है। संक्षिप्त जांच के बाद, यह पाया गया कि सुश्री खेडकर, आईएएस प्रोबेशनर (एमएच: 2023), सीएसई-2022 में उम्मीदवार होने के लिये अयोग्य थीं। यह वर्ष उनके आईएएस में चयनित होने और नियुक्ति का वर्ष था। इसलिये, वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में भर्ती होने के लिये अयोग्य थीं। केंद्र सरकार ने 06.09.2024 के आदेश द्वारा सुश्री खेडकर, आईएएस प्रोबेशनर (एमएच:2023) को आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया।
उल्लेखनीय है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने गत 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। इसके साथ ही उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से रोक दिया था। सुश्री खेडकर अपने कैडर राज्य महाराष्ट्र में एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं। इससे पहले, यूपीएससी और दिल्ली पुलिस ने पूर्व आईएएस परिवीक्षाधीन श्री खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुये कहा था कि उन्होंने न केवल आयोग बल्कि जनता के साथ भी धोखा किया है, क्योंकि वह 2020 तक सभी प्रयास समाप्त होने के कारण 2021 में सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में बैठने के लिये अयोग्य थीं।