ओंकारेश्वर: तीर्थस्थल पर आस्थावानों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बीस हजार लोग औसतन रोज पहुंच रहे हैं। विशेष दिनों में इनकी संख्या पचास हजार तक पहुंच जाती है। इसके बावजूद नर्मदाजी के किनारे वाले घाटों की स्थिति ठीक नहीं है। खेड़ीघाट का तो अविलंब काम शुरू करने की जरूरत है। इन्हें तरीके से बनाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को बड़े इंतजाम की जरूरत है। सिंहस्थ भी नजदीक आ रहा है।
मोर्टक्का पूर्व निमाड़ जिले का स्वागत द्वार कहलाता है। ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन होने के साथ ही नर्मदाजी के खेड़ीघाट पर स्नान करने के लिए रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु लोग आते हैं। विशेष पर्वों पर श्रद्धालुओं की संख्या पचास हजार से भी अधिक हो जाती है। नर्मदाजी के किनारों पर समुचित स्नान के लिए ना तो यहां पर घाटों का आज तक निर्माण हो पाया। न ही महिलाओं को स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिए कोई ढंग के टीनशेड का निर्माण हो पाया है।
यात्री प्रतीक्षालय तक नहीं
तीर्थस्थल ओंकारेश्वर में जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, तो अधिकांश श्रद्धालु तो नर्मदाजी के खेड़ीघाट पर ही स्नान व पूजन करते हैं। यहां सार्वजनिक शौचालय भवन का ना होना पर्यावरण सहित नर्मदाजी को भी प्रदूषित कर रहा है।
आगामी सिंहस्थ 2028 की कार्य योजनाओं के तहत नर्मदाजी का खेड़ीघाट मोरटक्का भी विकास की राह देख रहा है। मोटक्का बस स्टेशन पर हजारों यात्री आते हैं। यहां यात्री प्रतीक्षालय जरूरी है।
अंतिम यात्रा भी कठिन
नर्मदाजी के मार्गों पर समुचित प्रकाश व्यवस्था का अभाव है। यहां पर मृत आत्माओं के अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजाम नहीं हैं। 20 से 25 गांव एवं सनावद शहर के लोग मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। श्मशानघाट पहुंच मार्ग पर पैदल चलना भी कठिन है। नर्मदा तट के क्षेत्रवासियों ने कलेक्टर, एसडीएम, जनपद पंचायत अधिकारी से नर्मदा तट खेड़ीघाट का भ्रमण कर मूलभूत सुविधाओं के लिए विकास का मॉडल तैयार करवाएं।
मौके पर ही प्लानिंग बनाएं
हजारों यात्री यहां आते जरूर हैं, मगर उन्हें खुले में शौचालय जाने के लिए विवश होना पड़़ता है। जिससे नर्मदाजी के आसपास भारी गंदगी बनी रहती है। क्षेत्र के साधु संत एवं नागरिकों का कहना है कि खंडवा जिला प्रशासन को यहां पर शीघ्रतापूर्वक कुशल अधिकारियों से नर्मदा स्थल खेड़ीघाट का दौरा करवा कर यहां पर समुचित व्यवस्थाएं की जानी चाहिए।