नयी दिल्ली 04 सितंबर (वार्ता) दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि सोशल मीडिया में प्रचार-प्रसार के संबंध में उनके लिए दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की ओर से जारी बयान में जिन शब्दों का चयन किया गया वह अनुचित, अपमानजनक, भ्रामक और स्पष्ट रूप से झूठे हैं।
उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से जारी बुधवार को एक बयान में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा जारी बयान और उसमें उनके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने जिन शब्दों का चयन अपने बयान में किया है, वह अनुचित, अपमानजनक, भ्रामक और स्पष्ट रूप से झूठे हैं, और सचिवालय इस मामले में कानूनी कार्रवाई करेगा।
उन्होंने कहा कि जिस सरकार के मंत्री की तरफ से इस तरह का बयान आया है, उस सरकार ने 2019-2023 के दौरान विज्ञापन पर जनता के 1900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो हास्यास्पद और सर्वथा अनुचित है। इस अवधि में महामारी के कारण दो साल गंभीर वित्तीय संकट भी शामिल है। वर्ष 2023-2024 के लिए सरकार के प्रचार का बजट 557.24 करोड़ रुपये था।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने, अपने नेता और अपनी राजनीतिक पार्टी (आम आदमी पार्टी) के महिमामंडन के लिए, विज्ञापन पर प्रति माह औसतन 36 करोड़ रुपये और प्रति दिन 1.2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि प्रदूषण, स्वास्थ्य और नागरिक बुनियादी ढांचे के मामले में, दिल्ली की नारकीय स्थिति सर्वविदित है।
उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि इस तरह के बयान उस सरकार के मंत्री की तरफ से आते हैं, जो केवल प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के लिए एक एजेंसी को प्रति माह 30 लाख रुपये (प्रति दिन एक लाख), अपने राजनीतिक कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक एजेंसी को सालाना 14 करोड़ रुपये, एक पीआर एजेंसी पर सालाना चार करोड़ रुपये और सोशल मीडिया एजेंसी पर सालाना दो करोड़ रुपये खर्च करती है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के विभिन्न शहरी निकायों, दिल्ली सरकार व दिल्ली की अन्यएजेंसियों और बड़े स्तर पर यहां के निवासियों के बीच निर्बाध समन्वय बनाने के लिए भी, यह सचिवालय एक फोरम के रूप में काम करता है। इन सभी कार्यों में दिल्ली की जनता के साथ लगातार बातचीत और विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है। साथ ही ऐसे समय में, जब विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अक्सर निहित स्वार्थ साधने के लिए कुछ लोगों द्वारा फर्जी खबरों, गलत जानकारियों और झूठ का प्रचार किया जाता है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि सचिवालय द्वारा लोगों को तथ्यात्मक और सही जानकारी देकर, इससे सही तरीके से निपटा जाए। सोशल मीडिया एजेंसी की नियुक्ति की निविदा, जिसकी राशि सालाना 1.5 करोड़ रुपये है, को संबंधित प्लेटफार्म पर पारदर्शी रूप से पोस्ट किया गया और ऐसा करने के लिए उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों और कारणों को भी निविदा दस्तावेज में रेखांकित किया गया है।
ग़ौरतलब है कि श्री भारद्वाज ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल अपने प्रचार प्रसार करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए सालाना करने की योजना बनाई है।