नयी दिल्ली, (वार्ता) केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में तैनात केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) कर्मियों को रसद, आवास और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने में असहयोग और अवमाननापूर्ण व्यवहार का राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के इस मेडिकल कॉलेज में नौ अगस्त को एक पीजी डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या के बाद उच्चतम न्यायालय ने 20 और 22 अगस्त को आदेश दिया था कि वहां की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात किया जाए। इसके मद्देनजर वहां सुरक्षा कर्मियों को तैनात कर दिया गया, लेकिन राज्य सरकार के असहयोग के कारण उन्हें (सीआईएसएफ कर्मचारियों को) आवास और बुनियादी सुरक्षा ढांचे की कमी के कारण गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को सीआईएसएफ को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश देने की मांग अदालत से की है।
याचिका में विकल्प के तौर पर राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की भी गई है।
याचिका में कहा गया है, “आवास, सुरक्षा उपकरणों की अनुपलब्धता और परिवहन की कमी के कारण, विभिन्न स्थानों से आने वाले सुरक्षा कर्मियों, विशेष रूप से महिला दल को ड्यूटी करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो पश्चिम बंगाल राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अत्यधिक गंभीर मामला है।”
याचिका में कहा गया है, “54 महिला सुरक्षा कर्मचारियों सहित विभिन्न रैंकों के 184 कर्मियों के लिए कोलकाता पुलिस ने केवल दो बसें, एक एमएलवी और एक पिकअप वैन उपलब्ध कराया है। दूसरी ओर, सीआईएसएफ द्वारा अनुरोध की गई वाहनों और अन्य रसद सहायता की संख्या बहुत अधिक थी।
इसके अलावा पुलिस द्वारा कोई आवास या सुरक्षा उपकरण प्रदान नहीं किया गया है, जो शीर्ष अदालत के समक्ष दिए गए राज्य सरकार के वचन के अनुसार उनका अनिवार्य कर्तव्य था।