मालीवाल पर हमले के आरोपी बिभव कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

नयी दिल्ली, 02 सितंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हमले के आरोपी बिभव कुमार को सोमवार को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस तथ्य पर गौर करते हुए कि याचिकाकर्ता कुमार पहले ही 100 दिन से अधिक हिरासत में बिता चुका है, उसे बड़ी राहत दी। पीठ ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि मुकदमे में 51 से अधिक गवाहों की जांच की जानी है, जिसमें बहुत समय लग सकता है।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से कहा, “चोटें (पीड़ित या पीड़िता के) सामान्य होने की स्थिति में आप किसी व्यक्ति को 100 दिन से अधिक समय तक जेल में नहीं रख सकते। मेडिकल रिपोर्ट देखें।”

कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका खारिज होने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया था। पुलिस ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल करते हुए भी शीर्ष अदालत के समक्ष यह विरोध दर्ज कराया था। पुलिस ने कहा था कि अपराध के तुरंत बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल और याचिकाकर्ता, दोनों काफी समय तक साथ थे।

याचिकाकर्ता कुमार श्री केजरीवाल का करीबी और उनके सरकारी आवास पर हुए इस कथित हमले का आरोपी है।

पुलिस ने कहा, “इसके (हमले) बाद के दिनों में जिम्मेदार लोक सेवकों द्वारा लिए गए विरोधाभासी सार्वजनिक रुख की भी सही परिप्रेक्ष्य में जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि याचिकाकर्ता के हाथों शिकायतकर्ता/पीड़िता पर किए गए क्रूर हमले के पीछे कोई बड़ी साजिश थी या नहीं।”

हलफनामे में पुलिस ने यह भी कहा कि अपराध के बाद के दिनों में घटना के संबंध में पार्टी के दो जिम्मेदार व्यक्तियों ने भी पूरी तरह से अपना रुख बदल लिया था।

पुलिस ने हलफनामे में कहा था, “यह बहुत गंभीर मामला है, क्योंकि पीड़िता दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की मौजूदा सांसद है। उन्हें बहुत संवेदनशील स्थान (मुख्यमंत्री के घर) पर ‘बेरहमी से पीटा गया’।

पुलिस ने अदालत के समक्ष कहा था, “पीड़िता काफी समय तक दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रहीं। उन पर इस तरह का हमला समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर संदेह पैदा करता है।” पुलिस ने यह भी कहा था कि इस घटना का आम जनता के मन पर गहरा असर पड़ा है और उक्त मामले में किसी भी निर्णय का आम जनता के मन पर व्यापक असर पड़ेगा।

याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने 13 मई को यहां केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर सुश्री मालीवाल पर हमला किया था। उसके खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।

आरोपी के खिलाफ महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करने, हमला करने या आपराधिक हत्या करने का प्रयास करने से संबंधित धाराएं लगाई गई हैं।

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