सिंहस्थ 2028 के लिए नए जल स्रोत की तलाश, 35 साल पुरानी पाइपलाइन भी बदली जाएगी
उज्जैन: अंबोदिया ग्राम स्थित गंभीर जलाशय पर रविवार को उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा पूजन अर्चन किया गया और डैम के परिसर में स्थित भगवान श्री बिलकेश्वर महादेव के मंदिर में आरती की गई. गंभीर डेम को चुनरी अर्पित कर आभार प्रकट किया गया. जलाशय में पूरे वर्ष का पानी समाहित होने से अब जलप्रदाय की चिंता तो दूर हो गई है,अब सिंहस्थ 2028 से पहले नए जल स्रोत के माध्यम तलाशी जा रहे हैं और पुरानी पाइपलाइन भी बदली जाने की बात कही जा रही है.यह गंभीर डेम पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के द्वारा लोकार्पित किया गया था. 1992 के सिंहस्थ के पूर्व इस गंभीर जलाशय का निर्माण पीएचई व जल संसाधन से लेकर नगर निगम के अधिकारियों की देखरेख में बनाया गया था.
35 वर्ष पूर्व गंभीर का निर्माण
35 वर्ष पूर्व इस डेम की स्वीकृति प्राप्त हुई थी. एकमात्र गंभीर जलाशय के माध्यम से ही जलप्रदाय किया जाता है, जबकि यह जलाशय 5 लाख की जनसंख्या के मद्देनजर बनाया गया था. अब सिंहस्थ 2028 आने वाला है और शहर की जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है. नई-नई कॉलोनी का विस्तार हुआ है. ऐसे में एकमात्र गंभीर डेम पर ही पूरा उज्जैन निर्भर है.
दो नए जल स्रोत बनेंगे विकल्प
इस संबंध में नवभारत में जब विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा से नए डेम के संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने हरी झंडी दे दी है जिसमें गंभीर डेम का गहरीकरण किया जाएगा और इसकी मिट्टी भी कोई भी निकाल कर ले जा सकेगा रॉयल्टी नहीं वसूली जाएगी ,साथ ही सेवर खेड़ी और सिलारखेड़ी डैम को पेयजल के लिए उपयोगी बनाया जाएगा। यह दोनों विकल्प सिंहस्थ में उपयोगी साबित होंगे.
अचानक 10 से 18 लाख का हो जाता है उज्जैन
वर्तमान में उज्जैन शहर की 10 लाख जनसंख्या है, और महाकाल से लेकर महाकाल लोक और अन्य देवालयों शिवालयों में आने वाली जनता से यह शहर महीने में 20 बार 18 लाख जनसंख्या वाला हो जाता है. देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उज्जैन आ रहे हैं ऐसे में यहां के स्थानीय निवासियों के घर से लेकर होम स्टे ,होटल ,धर्मशालाओ पर भी श्रद्धालु ठहरते हैं और पीएचई द्वारा प्रदाय होने वाले जल का उपभोग करते हैं.
कनाडा से लाये ड्राइंग डिजाइन
1984 में उज्जैन के इंजीनियर जेएन चौबे कनाडा गए. कम खर्च में बने अच्छा डेम, इस परिकल्पना के साथ उन्होंने विदेश में बड़े-बड़े इंजीनियरों से लेकर वहां की जल प्रदाय की स्थिति को समझा. डेम की ड्राइंग डिजाइन समझी और वहाँ से पुनः भारत आये. उज्जैन आकर 1985-86 में टेंडर हुआ और 1990-से 92 के बीच गम्भीर डेम बन गया.
इनका कहना है
सिंहस्थ 2028 के लिए नई योजना बना रही है. निश्चित तौर पर सेवरखेड़ी डेम और सिलारखेड़ी डैम का उपयोग विकल्प के तौर पर किया जाएगा. साथ ही नई पाइपलाइन भी डाले जाने की प्रक्रिया जल्द प्रारंभ होगी. अमृत-टू मिशन में इसका प्रावधान किया गया है. जनता से लेकर सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं व लोगों को पानी की कमी नहीं होगी.
– आशीष पाठक, आयुक्त नगर निगम उज्जैन