सेबी की अध्यक्ष ने छात्रों को बदलते व्यावसायिक परिदृश्य के अनुकूल बनने की सलाह दी

अहमदाबाद, (वार्ता) भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएमए) के 59वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने शनिवार को छात्रों को सही दृष्टिकोण चुनने और बदलते व्यावसायिक परिदृश्य के अनुकूल बनने की सलाह दी।

सुश्री बुच ने इस अवसर पर अपने दीक्षांत संबोधन में छात्रों के साथ अपने अनुभव और अंतर्दृष्टि को साझा करते हुए एक छात्र के रूप में संस्थान में अपने दिनों को याद किया और कहा कि उनके लिए सबसे मूल्यवान चीज चुनौतियों के माध्यम से सोचने, सही करने क्षमता थी और उन्होंने अपने लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी पेशेवर यात्रा के उपाख्यानों को साझा करते हुए, उन्होंने छात्रों से आत्मनिरीक्षण करने, अन्वेषण करने और अपने स्वयं के व्यक्तिगत मंत्रों की खोज करने का आग्रह किया जो अंततः उनकी आगे की पेशेवर यात्रा में उनके मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे।

उन्होंने छात्रों को सही दृष्टिकोण चुनने और बदलते व्यावसायिक परिदृश्य के अनुकूल बनने की सलाह दी। नए स्नातकों के सामने मौजूद अवसरों के बारे में बात करते हुए, सुश्री बुच ने कहा, “मेरी पीढ़ी को नए भारत की शुरूआत की लहर पर सवार होने का मौका मिला था। आपको नए भारत की उल्लास भरी पराकाष्ठा देखने को मिलेगी। हर जगह, विकास के लिए, समावेश के लिए, उद्यमशीलता के लिए, साँचे को तोड़ने के लिए और दुनिया का नेतृत्व करने का अवसर है।”

भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएमए) ने अपना 59वां वार्षिक दीक्षांत समारोह आलीशान लुइस काह्न प्लाजा के हरे-भरे लॉन में आयोजित किया। इस वर्ष, संस्थान को मुख्य अतिथि के रूप में आईआईएमए की पूर्व छात्रा और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष सुश्री माधबी पुरी बुच की मेजबानी करने का सम्मान मिला। सुश्री बुच के साथ मंच पर आईआईएमए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पंकज आर पटेल, आईआईएमए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स निदेशक प्रोफेसर भारत भास्कर और फैकल्टी सदस्य भी शामिल हुए।

दीक्षांत जुलूस (प्रोसेशन) का नेतृत्व प्रोफेसर प्रद्युम्न खोकले, डीन (कार्यक्रम) और प्रबंधन में डॉक्टरेट कार्यक्रम के अध्यक्ष, प्रोफेसर दीप्तेश घोष ने किया। जिनके बाद सभी कार्यक्रमों के अध्यक्ष, फैकल्टी सदस्य और स्नातक हो रहे छात्र चल रहे थे जो आईआईएमए लोगो से सजाए गए औपचारिक स्टोल पहने हुए थे। जैसे ही दीक्षांत समारोह का जुलूस छिपते सूरज की उत्साही चमक के बीच प्रतिष्ठित एलकेपी में दाखिल हुआ, आईआईएमए समुदाय के सदस्यों और स्नातक हो रहे छात्रों के परिवार के सदस्यों ने जुलूस का उत्साह बढ़ाया।

आईआईएमए के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्री पंकज आर पटेल ने स्वागत भाषण देते हुए तकनीकी नवाचारों और व्यवधानों के कारण उद्योग के बदलते परिदृश्य के बारे में बात की और स्नातक हो रहे छात्रों को युवा अग्रणी होने के नाते अपने दृष्टिकोण में मानवीय होने के महत्व पर सलाह दी। उन्होंने कहा कि “एक अग्रणी में तकनीकी नवाचार की भूख होनी चाहिए। उसके पास आस-पास हो रही तकनीकी प्रगति और उसके व्यवसाय या संगठन पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने का खुलापन होना चाहिए। लेकिन याद रखें, एक अग्रणी के रूप में सफलता, प्रशंसा, संगठनात्मक विकास और पेशेवर विकास के लिए आपकी तीव्र खोज में, हमें व्यवसाय में मानवता के सार को नहीं भूलना चाहिए। इस संबंध में एक अग्रणी की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि आप ऑटोमेशन के कारण नौकरी से विस्थापन के डर से अवगत होंगे। अग्रणियों के लिए यह समझना और अपनी टीमों को समझाना जरूरी है कि वे प्रौद्योगिकी को खतरे के रूप में नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में देखें। सफलता की इस यात्रा में सामूहिक प्रयास महत्वपूर्ण है। ऐसा दृष्टिकोण अपनाएं जो समावेशी हो, अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य की ताकत और प्रतिभा का उपयोग करें।’

इस वर्ष के दीक्षांत समारोह में चार कार्यक्रमों से कुल 610 युवा अग्रणियों के स्नातक होने का जश्न मनाया गया, जिसमें प्रबंधन में डॉक्टरेट कार्यक्रम (डीपीएम) के 20 शोध छात्र, प्रबंधन में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम (एमबीए) के 396 छात्र, खाद्य और कृषि-व्यवसाय प्रबंधन में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम (एमबीए-एफएबीएम) के 47 छात्र और कार्यकारी अधिकारियों के लिए प्रबंधन में एक वर्षीय पूर्णकालिक स्नातकोत्तर कार्यक्रम (एमबीए-पीजीपीएक्स) के 147 छात्र शामिल थे। इन सभी ने अध्यक्ष महोदय से स्नातक प्रमाणपत्र प्राप्त किए।

एमबीए से सिद्धांत अग्रवाल, पंचम गुप्ता और आयुषी श्रीवास्तव, एमबीए-एफएबीएम से कार्तिक नय्यर और एमबीए-पीजीपीएक्स कार्यक्रमों से गोपी एथमुक्कलम को मुख्य अतिथि ने उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।

इस वर्ष भी आईआईएमए का प्लेसमेंट सीज़न सफल रहा और एमबीए, एमबीए – एफएबीएम और एमबीए-पीजीपीएक्स के छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी कंपनियों से नौकरी के प्रस्ताव प्राप्त हुए और पीएचडी शोधार्थी प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों से नौकरी के प्रस्ताव प्राप्त किए।

आईआईएमए निदेशक प्रोफेसर भारत भास्कर ने अपने समापन भाषण में पिछले एक वर्ष के दौरान संस्थान की गतिविधियों और उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया। स्नातक हो रहे बैचों को संबोधित करते हुए, प्रोफेसर भास्कर ने कहा, “आईआईएमए में आपको जो कठोर प्रशिक्षण और समग्र कौशल विकास मिला है, उसने आपको जटिल और लगातार बदलती दुनिया में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास प्रदान किया है। आज का तेजी से गतिशील और डिजिटल युग हर कुछ कदम पर आपसे एक नयापन मांगता है। इसलिए, नई सीख और कौशल के साथ खुद को नया रूप देते रहें। हर चुनौती को अवसर में बदलने के लिए उचित योग्यता और कौशल को निखारते रहें।’

प्रोफेसर भास्कर ने स्नातक छात्रों को फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के शब्दों से प्रेरित करते हुए कहा, ‘शांत समुद्र ने कभी भी कुशल नाविक नहीं बनाया।’ इसलिए, अपनी यात्रा की जिम्मेदारी संभालिए और मुझे यकीन है कि आप सभी आईआईएमए की महिमा को दूर-दूर तक ले जाने में अपनी छाप छोड़ेंगे।’ समारोह का समापन अध्यक्ष द्वारा दीक्षांत समारोह की समाप्ति की घोषणा के साथ हुआ। जैसे ही समारोह संपन्न हुआ, स्नातक छात्रों ने अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर को अपने परिवार और दोस्तों के साथ मनाया।

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