नवभारत
बागली। पूरे भारतवर्ष में 25 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा बागली में भी सभी मंदिरों में जन्माष्टमी अवसर पर विद्युत सज्जा के साथ-साथ कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी पूर्ण हो चुकी है।
*116 वर्ष पुराना चंपा बाग मंदिर कई रहस्य लिए हैं*
बागली के पश्चिमी छोर पर स्थित 116 वर्ष पुराने चंपा बाग मंदिर में स्थित गोवर्धन नाथ मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर बड़ी तैयारी की गई है। मंदिर के पुजारी राजेंद्र पाठक ने मंदिर के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर शिलालेख के अनुसार 1908 में बना है।
*मंदिर में है तलघर और गुप्त रास्ता*
मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर गर्भ ग्रह में प्रतिमा आसन के नीचे सीढ़ीयो द्वारा मंदिर के नीचे स्थित तल घर में पहुंचा जा सकता है। प्राचीन समय में यहीं से बागली की प्राचीन गड़ी तक गुप्त रास्ता भी बना हुआ है। लेकिन मिट्टी धसने के कारण यह रास्ता अब बंद हो गया है। मंदिर के पहले महंत जानकीदास बाबा, भरत दास जी बाबा बताते थे। कि राज परिवार की महिला सदस्य इसी रास्ते से प्रतिदिन गोवर्धन नाथ जी महाराज के दर्शन करने आती थी। पुराने लोगों के कहे अनुसार एक समय ऐसा भी आया था। जब अंग्रेज फौज द्वारा रियासत कालीन खजाने को जप्त करने के लिए अपनी सेना राजमहल में भेजी तब इसी रास्ते का उपयोग करते हुए बहुमूल्य आभूषण और खजाने को मंदिर के गर्भ ग्रह में छिपा दिया गया अंग्रेज सैनिकों ने महल में काफी खोजबीन की लेकिन उन्हें खजाना नहीं मिला सैनिकों के जाने के बाद फिर से खजाने को मूल स्थान पर रख दिया गया। चंपा बाग से जुड़े वार्ड के लोग बताते हैं कि यहां पर मटकी कुंडी बनी हुई थी जिसकी गोलाई बहुत कम थी। संभवत मंदिर से महल तक जाने वाले रास्ते के बीच यह झरोखे का काम करती थी। नीचे से ऊपर तक ईट से बनी इस कुंडी का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। रह वासियों ने बताया कि इस कुंडी में गर्मी के दिनों में भी शीतल जल भरा रहता था।
*तीसरी पीढ़ी कर रही है मंदिर की सेवा*
मंदिर के पुजारी राजेंद्र पाठक ने बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी यहां पर पूजा कर रही है मंदिर का सिंहासन पेड़ी नुमा बना हुआ है। इसी के पीछे से नीचे जाने का गुप्त रास्ता है। इस स्थान पर चंपा के पेड़ बड़ी मात्रा में होने के कारण इस स्थान का नाम चंपा बाग पड़ गया है। आज भी मंदिर परिसर के आसपास पांच तरह के चंपा के पेड़ है। जिसमें खुशबूदार फल लगते हैं।
*गुजराती भाषा में लिखा है लेख*
मंदिर की दीवार पर संस्कृत मिश्रित गुजराती भाषा में मंदिर के विषय में शिलालेख लिखा हुआ है। संभवत द्वारकाधीश मंदिर से प्रतिमा इस मंदिर में लाकर स्थापित की गई होगी।
मंदिर में स्थापित गोवर्धन नाथ महाराज यहां स्थित प्रतिमा में विराजित होकर बाल रूप युवा रूप एवं वृद्ध रूप में दर्शन देते हैं।
*कई रूप में विराजित है यहां पर भगवान कृष्ण*
संभवत बागली स्थित चंपा बाग का गोवर्धन नाथ मंदिर ऐसा मंदिर है जहां पर कृष्ण की सभी लीलाएं अलग-अलग रूप में प्रतिमा के रूप में विराजित है। इन प्रतिमाओं में भगवान कृष्ण भगवान शालिग्राम लड्डू गोपाल गिरधर नागर वासुदेव आदि रूप में यहां पर दिखाई देते हैं।