आरआरबी डिजिटल सेवाओं के विस्तार पर चुनौतियों की करे पहचान: सीतारमण

नयी दिल्ली 19 अगस्त (वार्ता) ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरआरबी से अपने प्रायोजक बैंकों के सक्रिय समर्थन के साथ पीएम विश्वकर्मा और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण स्वीकृत करते समय लाभार्थियों की स्पष्ट पहचान पर अधिक जोर देने के साथ ही प्रायोजक बैंकों और आरआरबी से आगे आने वाली चुनौतियों को पहचानने और परिसंपत्ति की गुणवत्ता बनाए रखने, डिजिटल सेवाओं का विस्तार करने और मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है।

श्रीमती सीतारमण ने आज यहां आरआरबी की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के मनोनीत सचिव, अतिरिक्त सचिव, डीएफएस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, आरबीआई, सिडबी, नाबार्ड के प्रतिनिधि, आरआरबी के अध्यक्ष और प्रायोजक बैंकों के सीईओ भी शामिल हुए।

सभी 43 आरआरबी की मौजूदगी वाली बैठक में कारोबारी प्रदर्शन, डिजिटल प्रौद्योगिकी सेवाओं को उन्नत करने और एमएसएमई क्लस्टरों में कारोबारी वृद्धि को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आरआरबी को जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का भी निर्देश दिया गया।

बैठक में एक प्रस्तुति के दौरान श्रीमती सीतारमण ने 2022 में नियमित समीक्षा शुरू होने के बाद से अपने वित्तीय प्रदर्शन और प्रौद्योगिकी उन्नयन में सुधार के लिए आरआरबी की सराहना की है और ग्रामीण बैंकों से भविष्य में भी इस गति को जारी रखने का आग्रह किया है। आरआरबी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 7,571 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक समेकित शुद्ध लाभ दर्ज किया है। 6.1 प्रतिशत का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।

इस दौरान श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सभी आरआरबी के पास प्रासंगिक बने रहने के लिए अपनी खुद की अप-टू-डेट प्रौद्योगिकी स्टैक होनी चाहिए और कहा कि मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण भौतिक कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों (जैसे उत्तर पूर्वी राज्य और पहाड़ी क्षेत्र) के लिए वरदान साबित होंगी। तकनीकी सहायता प्रदान करके, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके और यह सुनिश्चित करके कि आरआरबी के पास सफल होने के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुँच हो, इन प्रयासों में प्रायोजक बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

वित्त मंत्री ने एमएसएमई क्लस्टरों में स्थित आरआरबी शाखाओं द्वारा कपड़ा, हस्तशिल्प, लकड़ी के फर्नीचर, मिट्टी के बर्तन, जूट हस्तशिल्प, चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी फार्मिंग, पैकिंग सामग्री आदि क्षेत्रों में लघु और सूक्ष्म उद्यमों को ऋण सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय आउटरीच पर जोर दिया, जिसमें आरआरबी के लिए ऋण पोर्टफोलियो बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।

श्रीमती सीतारमण ने सभी आरआरबी को अपने क्लस्टर गतिविधियों के साथ उपयुक्त एमएसएमई उत्पाद तैयार करने और बैंकिंग पहुंच बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत और स्थानीय संपर्क का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। सिडबी को सह-उधार/जोखिम-साझाकरण मॉडल की खोज करने और एमएसएमई पोर्टफोलियो के लिए पुनर्वित्त बढ़ाने में आरआरबी की सहायता करने का निर्देश दिया गया।

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