नयी दिल्ली (वार्ता) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने रविवार को यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में देश में एमपॉक्स यानी मंकीपाक्स से निपटने की तैयारियों की स्थिति और संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की।
श्री मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और उनके निर्देश पर ही यह बैठक आयोजित की गयी है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसकी व्यापकता और प्रसार को देखते हुए गत 14 अगस्त को फिर से एमपॉक्स पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) घोषित कर दिया है। उन्होंने बताया कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल, रिपोर्ट किए गए मामलों में काफी वृद्धि हुई, और इस साल अब तक दर्ज किए गए मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है, जिसमें 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं। विश्व संगठन द्वारा 2022 में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की अंतर्राष्ट्रीय चिंता की घोषणा के बाद से, भारत में 30 मामले सामने आए। एमपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था।
उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया कि अभी तक देश में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। वर्तमान आकलन के अनुसार, बड़े प्रकोप का जोखिम कम है।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि एमपॉक्स संक्रमण आम तौर पर 2-4 सप्ताह के बीच अपने आप सीमित होता है। एमपॉक्स के मरीज आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं। एमपॉक्स का संक्रमण संक्रमित रोगी के साथ लंबे समय तक और निकट संपर्क से होता है। यह मुख्य रूप से यौन मार्ग, रोगी के शरीर, घाव वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क या किसी संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के माध्यम से होता है।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में इससे निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गये हैं। भारत के लिए जोखिम का आकलन करने के लिए 12 अगस्त को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई गई थी। एनसीडीसी द्वारा पहले जारी किए गए एमपॉक्स पर संचारी रोग (सीडी) अलर्ट को नए विकास को पकड़ने के लिए अद्यतन किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों (प्रवेश के बंदरगाहों) पर स्वास्थ्य टीमों का संवेदीकरण किया गया है। यह भी बताया गया कि आज सुबह महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीजीएचएस) द्वारा 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। राज्यों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) इकाइयों और प्रवेश बंदरगाहों आदि सहित राज्य स्तर पर स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में संवेदनशील बनाया गया था।
यह भी कहा गया कि आज सुबह महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा द्वारा 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। राज्यों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) इकाइयों और प्रवेश बंदरगाहों आदि सहित राज्य स्तर पर स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में संवेदनशील बनाया गया था।
डॉ. मिश्रा ने निर्देश दिया कि निगरानी बढ़ाई जाए और मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने कहा कि परीक्षण प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को शीघ्र निदान के लिए तैयार किया जाना चाहिए। अभी 32 प्रयोगशालाएँ परीक्षण के लिए तैयार हैं।
उन्होंने निर्देश दिये कि बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के प्रोटोकॉल का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। उन्होंने बीमारी के लक्षणों और निगरानी प्रणाली को समय पर अधिसूचना की आवश्यकता के बारे में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच जागरूकता अभियान पर जोर दिया।