नेल्लोर (आंध्र प्रदेश), 17 अगस्त (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को यहां उद्योग, व्यापार और वाणिज्य क्षेत्रों से अनावश्यक आयातों के बजाय स्थानीय उत्पादन को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
श्री धनखड़ ने स्वदेशी के एक पहलू और स्थानीय लोगों के लिए मुखर होने के प्रतिबिंब के रूप में आर्थिक राष्ट्रवाद की अवधारणा पर जोर देते हुए अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक आयात के नकारात्मक प्रभाव को उजागर किया जिसमें विदेशी मुद्रा की निकासी और भारतीय श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसरों का नुकसान शामिल है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘कालीन, वस्त्र और खिलौनों जैसी आयातित वस्तुओं पर हमारी निर्भरता न केवल हमारी विदेशी मुद्रा को विदेश भेज रही है बल्कि घरेलू उद्यमिता के विकास में भी बाधा डाल रही है।’
उन्होंने उद्योग से स्थानीय उत्पादन का समर्थन करके इस मुद्दे को हल करने की अपील की जो बदले में भारतीय श्रमिकों को काम प्रदान करेगा और उद्यमिता को बढ़ावा देगा।
उपराष्ट्रपति ने यहां के निकट वेंकटचलम में स्वर्ण भारत ट्रस्ट की 23वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम उपभोग की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया और नागरिकों से वित्तीय शक्ति के बजाय आवश्यकता के आधार पर संसाधनों का उपयोग करने का आग्रह किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक ताकत से प्रेरित प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बड़ा खतरा है। बेतहाशा खर्च के खिलाफ चेतावनी देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह की हरकतें भविष्य की पीढ़ियों की भलाई को खतरे में डाल देंगी।
उन्होंने कहा, ‘अगर हम पैसे की ताकत के आधार पर अनावश्यक रूप से खर्च करते हैं तो हम भविष्य की पीढ़ी को खतरे में डाल रहे हैं।’
उन्होंने मूल्य संवर्धन के बिना लौह अयस्क जैसे कच्चे माल के निर्यात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रथा न केवल रोजगार की संभावनाओं को कम करती है बल्कि देश के आर्थिक ढांचे को भी कमजोर करती है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे लौह अयस्क को बिना किसी अतिरिक्त मूल्य के बंदरगाहों से निकलते देखना दुखद है। एक राष्ट्र के रूप में हम दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों पर आसान और त्वरित धन को प्राथमिकता नहीं दे सकते।’
श्री धनखड़ ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के प्रति अपनी प्रशंसा और सम्मान व्यक्त करते हुए राष्ट्र के कल्याण के लिए श्री नायडू के आजीवन समर्पण को उजागर किया, उनके सार्वजनिक जीवन को आकार देने वाले आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
समारोह में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, समीरा नजीर, वेंकैया नायडू, उषा नायडू, मंत्री आनम रामनारायण रेड्डी, पी नारायण शामिल हुए।