शिमला, 16 अगस्त (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने कहा है कि बंगाल को तृणमूल कांग्रेस और ममता-सरकार के शासनकाल में महिलाओं के लिए नर्क बनाया जा रहा है।
सुश्री खेड़ा ने शुक्रवार को यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण हो गया है जो दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। बंगाल, जो कभी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता के लिए जाना जाता था, आज टीएमसी की सरकार के तहत महिलाओं के लिए एक नर्क बनता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा प्रमाण है हाल ही में घटी घटनाएँ, जो हर संवेदनशील नागरिक को झकझोर कर रख देती हैं। हाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर से बालात्कार और हत्या की जो जघन्य वारदात हुई, उसका गुस्सा पूरे देश में देखा जा रहा है। देशभर के डॉक्टर नाराजगी से भरे हैं और जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। लड़की के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई है उसकी तुलना दिल्ली में हुए निर्भया केस से की जा रही है लेकिन इस बेहद शर्मनाक और संवेदनशील घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार का रवैया कम आश्चर्यजनक नहीं है।
सुश्री खेड़ा ने कहा कि पूरा घटनाक्रम जिस तरह से हुआ और इस मसले पर जैसा रवैया ममता बनर्जी सरकार का रहा, वह साफ इशारा कर रहा है कि डॉक्टर बेटी के साथ जो दरिंदगी हुई, उसकी कड़ियां कहीं ना कहीं तृणमूल से भी जुड़ी हैं। मेडिकल कॉलेज में जघन्य वारदात के बाद आरोपियों को फौरन पकड़ने की बजाय पुलिस और मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने मामले में जिस तरह की लीपापोती की, उससे साजिश वाला शक और ज्यादा गहरा गया है।
उन्होंने कहा कि लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में डेडबॉडी देखकर ही यह बात पता चल रही थी कि उसके साथ बर्बरता की गई है…लेकिन पुलिस पहले ही इसे सुसाइड का एंगल देने में जुट गई। जब दबाव बढ़ा तो एक आरोपी को गिरफ्तार करके मामले को दबाने की कोशिश की गई। अब जब लड़की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सबके सामने है, तो ममता सरकार और पुलिस क्या जवाब देगी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर ये दावा कर रहे हैं कि इस जुर्म ने एक से ज्यादा आरोपी शामिल हैं। ऐसे में क्या सिर्फ एक आरोपी को गिरफ्तार करके किसी और बचाने की भूमिका तैयार की गई।
उन्होंने कहा कि अदालत ने भी इस घटना पर ममता सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने कड़े शब्दों में पूछा कि आखिर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई। इस बीच आपके ये जानकार हैरानी होगी पीड़िता के माता-पिता ने अपनी याचिका में दावा किया है, कि उन्हें अपने विश्वस्त सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक उनकी डॉक्टर बेटी की हत्या में तीन लोग शामिल थे। यहां तक की पीड़िता के शरीर में मिले वीर्य से भी ये पता लग रहा है कि इस हैवानियत को एक से ज्यादा लोगों ने अंजाम दिया।
सुश्री खेड़ा ने कहा कि बड़ा सवाल आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर भी है, जिस पर पहले से भष्टाचार के कई आरोप रहे हैं। रेप और हत्याकांड की इस वीभत्स घटना के बाद उनके इस्तीफे की मांग फिर जोर पकड़ी तो श्री घोष ने इस्तीफा दिया, प्रदर्शनकारी कुछ शांत हुए तो लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने प्रिंसिपल घोष का इस्तीफा स्वीकार न करते हुए उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया। कोर्ट इस बात नाराजगी जता चुका है, कि जिस प्रिंसिपल को जांच के दायरे में होना चाहिए, उसे कुछ ही देर में दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे नियुक्त कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि पूरी घटना पर साजिश की बू तब और ज्यादा महसूस हुई जब अचानक भारी पुलिस की मौजूदगी के बाद भी भीड़ जबरन अस्पताल में घुस गई और तोड़फोड़ की। खासतौर पर उस कमरे को टारगेट किया गया, जहां डॉक्टर बेटी से जघन्य अपराध हुआ था। ऐसा कैसे हो सकता है, जिस मुद्दे को लेकर पूरा देश में गुस्सा और उबाल है, उस क्राइम स्पॉट को भी सुरक्षित रखने में पुलिस नाकाम रही। सवाल ये भी बड़ा है, कि अस्पताल में ये हंगामा और तोड़फोड़ तब हुई, जब केस केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा गया।
उन्होंने कहा कि ये बेहद शर्मनाक है, कि जिस वक्त देश 78वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न मना रहा था, उस वक्त सुश्री ममता बनर्जी की पुलिस डॉक्टरों को पीट रही थी। अपनी साथी के लिए न्याय की मांग कर रहे डॉक्टरों पर लाठियां बरसाकर उन्हें डराने की कोशिश कर रही थी।
उन्होंने कहा कि बड़ी बात ये भी है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो प्रदेश की गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, लिहाजा मेडिकल कॉलेज की एक-एक घटना पर उनकी सीधी जिम्मेदारी है तो आखिर सुश्री बनर्जी अपनी इस जिम्मेदारी से क्यों बच रही हैं…,क्यों महिला के खिलाफ इतनी शर्मनका वारदात को छुपाने की कोशिश में लगी हैं…।अगर अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं सकती, महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे सकती तो उन्हें फौरन ही मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ बंगाल की महिलाओं की नहीं है, यह पूरे देश की लड़ाई है। हमें एकजुट होकर ममता सरकार और आईएनडीआई गठबंधन की इस असफलता के खिलाफ खड़ा होना होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए मीडिया के साथियों से इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने की अपील करते हैं, ताकि कोलकाता की बेटी को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके। ममता बनर्जी की सरकार में कोई और जुल्म का शिकार बेटी सियासत की भेंट ना चढ़ सके।