नयी दिल्ली (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर सीख देने वालों को खारिज करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है।
श्री धनखड़ ने गुरुवार को यहां अमेरिकन बार एसोसिएशन स्प्रिंग कॉन्फ्रेंस के दूसरे संस्करण को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अपने लंबे इतिहास में कई धार्मिक समुदायों को शरण दी है। उन्होंने कहा कि सीएए के बारे में अज्ञानतापूर्ण टिप्पणियाँ करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य संस्थाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों को पुरजोर तरीके से खारिज किए जाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीएए हमारे पड़ोस में धार्मिक आधार पर सताए गए लोगों को राहत देने के लिए है। इससे किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं किया जा रहा है। सीएए के अंतर्गत नागरिकता के लिए 2014 की “कट ऑफ डेट” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका लाभ लेने के लिए लोगों को आमंत्रित नहीं किया जा रहा हैं। इसका लाभ उन्हें दिया जा रहा है जो पहले से ही इस देश में हैं। ये लोग एक दशक से अधिक समय से इस देश में हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ रहकर सीख देने वालों को फटकार लगानी चाहिए।
उन्होंने भारत के संस्थानों के बारे में कुछ लोगों की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। श्री धनखड़ ने कहा, “हम दूसरों से ज्ञान प्राप्त करने वाले देश नहीं हैं।”
श्री धनखड़ ने कहा कि कुछ देश ऐसे हैं, जो कई मंचों से हमें सिखाना चाहते हैं कि लोकतंत्र क्या है? उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर ऐसी चीजों के खिलाफ बोलने का आग्रह किया।