भारत की कृषि विविधता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए आशा की किरण- नरेंद्र मोदी

भारत की कृषि विविधता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए आशा की किरण- नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली 03 अगस्त (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत की विविधता इस देश को विश्व की खाद्य सुरक्षा के लिए आशा की किरण बनाती है। श्री मोदी नई दिल्ली में आयोजित “कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन” का उद्घाटन कर रहे थे।

यह सम्मेलन भारत में 65 साल बाद आयोजित किया गया है। सात दिन के इस सम्मेलन में दुनिया भर के 1000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जिसमे 40 प्रतिशत से अधिक महिला डेलीगेट हैं। उद्घाटन सत्र को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की पहल से आज भारत में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर दुनिया में सबसे ऊंची चल रही है तथा भारत कृषि का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मानव और जमीन के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि 65 साल पहले जब भारत ने मैसूर में इस सम्मेलन का आयोजन किया था उस समय भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया की चिंता का विषय था , आज भारत दुनिया की खाद्य सुरक्षा की चिंता कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज विश्व में दूध दाल और मसाले का सबसे बड़ा उत्पादक है। फल सब्जियां मछली आदि के उत्पादन में भी भारत का बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि भारत में अधिकांश किसान छोटी जोत वाले किसान हैं और यह किसान ही भारत की खाद्य सुरक्षा का आधार हैं । उन्होंने कहा कि एशिया के तमाम देशों में भी भारत की तरह ही किसानों की जमीन कम हैं ,भारत का मॉडल उनके और दक्षिणी गोलार्ध के अन्य देशों के लिए एक मॉडल बन सकता है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत एक प्राचीन देश है। भारत की कृषि और भोजन की परंपराएं भी उतनी ही प्राचीन हैं। उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में अन्न को सभी पदार्थों में सबसे श्रेष्ठ और सभी औषधीय का आधार माना गया है। श्री मोदी ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान कि हमारी समृद्धि परंपरा भारत में कृषि प्रणाली का आधार है। उन्होंने इसी संबंध में 2000 वर्ष पूर्व लिखे गए कृषि पाराशर ग्रंथ का उल्लेख किया और कहा कि यह ग्रंथ आज विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024- 25 के बजट में भारतीय कृषि प्रणाली को नैसर्गिक दृष्टि से स्वस्थ और जलवायु परिवर्तन के समक्ष जुझारू बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने सम्मेलन के प्रतिनिधियों को भारत में मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, ड्रोन दीदी, इलेक्ट्रॉनिक कृषि मंडी और किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 10 करोड़ किसानों को डिजिटल तरीके से किया जा रहे भुगतान जैसी अनेक पहल कभी उल्लेख किया। श्री मोदी ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन की चर्चाओं से किसी को स्वस्थ बनने की चुनौतियों के विषय में महत्वपूर्ण सुझाव सामने आएंगे और हमें एक दूसरे के अनुभव से सीखने का लाभ मिलेगा।

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