उज्जैन। सावन महीने में देश-विदेश से श्रद्धालु महाकाल दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, इधर शहर की 9 लाख की जनसंख्या भी गंभीर डेम पर ही आश्रित है, हाल फिलहाल डेम की स्थिति गंभीर है। 36 दिनों में मात्र 16 इंच की बरसात हुई है। ऐसे में गंभीर का कंठ अभी प्यासा है, 1700 एमसीएफटी की और दरकार है ,यदि बचे हुए 45 दिनों में भरपूर वर्षा नहीं हुई तो भीषण जल संकट व्याप्त हो जाएगा।
मालवा में 27 जून 24 को पहली बार बारिश आई। तब उज्जैन की 9 लाख जनता की प्यास बुझाने वाले गम्भीर डेम में सुबह के वक्त 182 एमसीएफटी पानी बचा था। तब से लेकर 2 अगस्त तक उज्जैन में 16.39 इंच पानी बरसा है। ऐसे में इन बीते 36 दिनों गम्भीर डेम का लेवल 482 एमसीएफटी हो गया है। मतलब साफ है की अब तक सिर्फ 300 एमसीएफटी पानी गम्भीर डेम में बड़ा है जो नाकाफी है।
उज्जैन शहर में उत्तर और दक्षिण में निवासरत 9 लाख जनता की प्यास बुझाने के लिए नई और पुरानी मिलाकर 42 टंकिया हैं। पहले 27 थी बाद में 15 टंकियां का और निर्माण हुआ, ऐसे में 24 घण्टे के जल प्रदाय यह सभी 42 टंकियां नहीं भर पाती है। उज्जैन की इन टंंकियों से शहर की जनता को प्रतिदिन 6 एमसीएफटी जल प्रतिदिन प्रदाय किया जाता है।
60 मामलों में जांच नहीं
यह बात सही है कि गंभीर डेम में अभी मामूली आवक हो रही है। बड़ा कारण इसका यह है कि बहुत कम वर्षा हो रही है। यदि इसी तरह भी पानी बरसता रहा तो 24 घंटे में कम से कम 5 से 6 एमसीएफटी प्रतिदिन वर्षा की गंभीर को जरूरत है। हालांकि धीरे-धीरे पानी का स्रोत बढ़ जाएगा, क्योंकि अभी बहुत टाइम वर्षाकाल का बचा है।
-राजीव शुक्ला इंजीनियर, गम्भीर डेम प्रभारी