हरिश राठौड़
पेटलावद: टेमरिया होली के दूसरे दिन धुलेंडी की दोपहर गांव में गल चुल मेला का आयोजन हुआ. इस चमत्कार को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचते हैं. मन्नत धारी ने अपनी मन्नत उतारी. कहते हैं कि मन में अगर आस्था और श्रद्धा होती हैं तो भगवान वह जरूर पूरी करते हैं.आदिवासी अंचलों में ग्रामीण लोग अपने परिवार में कोई विपत्ति आ जाती है तो वह गल बाबजी एवं चुल माता की मन्नत ले लेते हैं. उनकी मन्नत पूरी होने पर वह उतारने पहुंचते हैं गल में चार बड़े खंबे होते है. वह भी बीस फिट के ऊपर एक मचान होता है. एक गीले बांस की लम्बी लकड़ी होती है. उस पर मन्नत धारी व्यक्ति को उल्टा लेटाया जाता है.
उसके बाद घुमाया जाता हैं. गल में घुमाने वाले मांगु भुरिया ने बताया कि हमारी लड़की की अचानक तबीयत ख़राब हो गई थी. एक समय ऐसा लग रहा था वह अब इस दुनिया में है ही नहीं, तो मुझे आसपास के पड़ोसी ने बताया कि गल बाबजी की मन्नत ले ले. मैंने उसी समय स्नान कर अगरबत्ती लगाई और गल बाबजी से विनती की मेरी बच्ची सही सलामत हो जाएगी तो पांच वर्ष गल घूमुंगा. मेरी बच्ची की तबीयत में सुधार हो गय. मन्नत धारी आठ दिनों तक नंगे पैर रहता है और आठ दिन जहां-जहां भगोरिया हाट रहता है वहां पर जाते हैं. शरीर पर लाल रंग का कपड़ा होता है. हाथों, श्रीफल, कांच, कंघी व शरीर पर हल्दी आंखों मे काजल लगाते हैं. मन्नतधारी व्यक्ति स्वयं अपने हाथों से खाना बनाकर खाते है. किसी के हाथों से पानी भी नहीं पीते हैं. खुद भर कर लाते है और साथ में रखते है. इतनी कठोर मन्नत होती है.
चालीस वर्ष से हो रहा आयोजन
वहीं चुल माता जिन्हें यानी हिंगलाज माता कहते है. चुल पांच फिट लम्बी होती है और इतनी ही घेहरी होती है. जहां पर लकड़ी के अंगारों रखे जाते हैं. इन दहकते अंगारों पर मन्नत धारी चलते हैं. पैरों में खरोच तक नहीं आती. मन्नतधारी भुरी बाई बतातीं है मुझे चार वर्ष हो गये चूल चलते हुए. मेरी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुई. एक वर्ष और चलना है. लगभग चालीस वर्ष से गल चुल मेला का आयोजन गांव घोडथल के ग्रामीण करते है और वहीं पुजा पाठ करते हैं. अमर सिंह गरवाल, महावीर भंडारी, तरुण अंजना, राहुल मालवीय, मोहन डामर, नन्दलाल निनामा ने भी आदि ग्रामीण महिलाओं चुल पर चल गांव की सुख शांति समृद्धि की कामना की. इस मौके पर एसडीएम अनिल राठौर, एसडीओपी सौरभ डावर भी उपस्थित रहे.