सडक़ों पर लगा मवेशियों का जमावड़ा, बना रहता है हादसों का अंदेशा

जिले में अनेक गौशालाएं, फिर भी सडक़ पर भटकने को मजबूर गौवंश

नलखेडा:ग्रामीण क्षेत्रों की चरनोई जमीन पर बेजा कब्जा होने के बढ़ते मामलों की वजह से पशुओं का निवाला छिनता जा रहा है. गांव के खेतों में फसल लगे होने के कारण खदेड़े जा रहे मवेशियों का पलायन प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी नगरीय क्षेत्र में बढ़ गया है.नगरीय क्षेत्र व बड़ा गांव सहित ग्रामीण क्षेत्र के सडक़ मार्गों व चौक चौराहों में मवेशियों का बड़ी संख्या में जमघट लगना आवागमन में खासी परेशानियों का सबब बना हुआ है. तेज रफ्तार वाहनों से बीच मार्ग में बैठे इन मवेशियों की भी जान जाने का अंदेशा रहता है. ग्रामीण क्षेत्र में चरनोई भूमि यह तो दबंग का कब्जा है यह कुछ क्षेत्रों में न होने की समस्या के कारण इन दिनों में मवेशी नगर में डेरा डाल रहे हैं. स्थानीय चौक चौराहों सहित आदि कई इलाकों में बड़ी संख्या में मवेशियों का जमावड़ा प्रतिदिन देखा जा सकता है. नगर के बाजार में फल सब्जियों एवं अन्य खाद्यान्न के लालच में मवेशी एक बार डेरा डालने के बाद वापस नहीं जाते.
विकराल हो रही समस्या
आए दिनों मवेशियों का ग्रास कूड़े करकट के कागज व पॉलीथिन बन रहे हैं. मवेशी मालिकों द्वारा सुध नहीं लिए जाने के कारण सडक़ों में आवागमन की समस्या निर्मित होने लगी है. प्रशासन की ओर से चरनोई भूमियों के अवैध बेजा कब्जे के मामलों में समय पर उचित निराकरण नहीं किए जाने के कारण समस्या विकराल होती जा रही है. कब्जा की शिकायत लेकर पहुंचते हैं परंतु समाधान नहीं होने के कारण ग्रामीण पुन: शिकायत नहीं कर पाते. यह समस्या किसी एक गांव की नहीं बल्कि अधिकांश गावों की है. ग्रामीण क्षेत्रों का मुआयना किया जाए तो जहां पहले कभी गौचर जमीन थी, वहां कही अब मकान बन गए हैं तो कहीं और कुछ निर्माण या खेती हो रही है. बावजूद प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है और सभी जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं.

पंचायत और नगर में गौशालाएं होने के बावजूद सडक़ों पर विचरण कर रही गाय

पशुओं के लिए गोशालाएं गांव गांव बनाई गई हैं फिर भी वह बेसहारा ही सडक़ों पर विचरण कर रहे हैं. कस्बा में सडक़ किनारे या फिर खेतों के आसपास जानवरों का हुजूम देखने को मिलता है. कस्बा में अन्ना जानवरों के लिए तीन गोशालाएं बनी है. इसके बाद भी आवारा जानवर सडक़ों किनारे बैठे रहते हैं. जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो जाती है. पशुओं ने अपना ठिकाना सडक़ के किनारे या फिर किसी के प्लाट में अपना आशियाना बना लिया है. भूखे प्यास से पशु इधर उधर भटक रहे हैं जबकिजिले में अनेक जगहों पर गोशाला हैं. उल्लेखनीय है कि प्रदेश ही नहीं देश का पहला गौ अभयारण्य सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में स्थित होने के बाद भी अब तक गायों और अन्य मवेशियों की हालत में सुधार नहीं हो सका है. इन मवेशियों की स्थिति अब चिंताजनक बन गई है. यह गौ अभयारण्य क्षेत्र की गायों के ही उपयोग में नहीं आ पा रहा है तो प्रदेश के अन्य स्थानों की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

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