ग्वालियर/ हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पिनाहट और अटेर पर चंबल पुलों का निर्माण कराने को लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस सुनवाई में सन् 2014 से मध्य प्रदेश शासन द्वारा लगातार आश्वासन दिए जाने के बावजूद भी आज तक पुलों का निर्माण नहीं होने पर याची ने अपना पक्ष रखा। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद लोक निर्माण विभाग मध्य प्रदेश शासन के सचिव और लोक निर्माण विभाग भोपाल के मुख्य अभियंता सहित पीडब्ल्यूडी पुल निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने शासन को पुलों के निर्माण के संबंध में स्टेट्स रिपोर्ट भी पेश करने के आदेश दिए हैं।
अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने वर्ष 2014 में हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए मुरैना जिले के उसैथ घाट पिनाहट और भिंड जिले के अटेर घाट पर चंबल नदी पर पुल निर्माण न होने से होने वाली समस्या और आवागमन हेतु सड़क मार्ग उपलब्ध न होने की बात कही थी। इस जनहित याचिका की सुनवाई हाई कोर्ट में हुई तो हाई कोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया और पुलों के निर्माण के संबंध में कई बार स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए। आखिर में मध्य प्रदेश शासन ने जवाब पेश करते हुए कहा कि अटेर-जैतपुर के बीच चंबल पुल के निर्माण के संबंध में एग्रीमेंट हो चुका है।
एग्रीमेंट के अनुसार 15 जून 2019 तक उक्त पुल का निर्माण पूर्ण करना था। वहीं उसेथ- पिनाहट के पुल के निर्माण के संबंध में शासन ने कहा कि पुल के संबंध में विनोद कुमार शुक्ला मैसर्स के साथ शासन ने 29 दिसंबर 2016 को एग्रीमेंट कर लिया है, उक्त एग्रीमेंट के अनुसार कंपनी को पिनाहट पुल का निर्माण 28 महीने में करना था।
इस आश्वासन के बाद हाई कोर्ट ने मामले को समाप्त कर दिया था। जब इतने साल के बाद भी पुल का निर्माण नहीं हुआ तो दोबारा इसी मामले में तीन दिसंबर 2020 को हाई कोर्ट में एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने एक जनहित याचिका पेश की।
इसमें फिर शासन ने दो से तीन वर्ष में निर्माण कार्य पूरा कर देने की बात कही, लेकिन इसके बाद भी जब वर्ष 2024 तक पुल का निर्माण नहीं हुआ तो याचिकाकर्ता ने फिर एक बार न्यायालय में इस मामले को उठाया है। जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने शासन के अधिकारियों को जवाब तलब किया है और चार सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किए हैं।