बेंगलुरु, (वार्ता) कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम से जुड़े 187 करोड़ रुपये के घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारियों पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और वित्त विभाग को गलत तरीके से फंसाने के लिए राज्य सरकार के एक अधिकारी को मजबूर करने का आरोप लगा है।
विल्सन गार्डन थाने में समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कलेश बी की शिकायत के आधार पर सोमवार को मामला दर्ज किया गया। श्री कलेश ने आरोप लगाया कि 16 जुलाई को पूछताछ के दौरान ईडी अधिकारी मुरली कन्नन ने उनसे 17 सवाल पूछे और घोटाले में पूर्व मंत्री बी नागेंद्र, मुख्यमंत्री और वित्त विभाग का नाम बताने के लिए उन पर दबाव डाला। उन्होंने दावा किया कि मित्तल उपनाम से पहचाने जाने वाले एक अन्य ईडी अधिकारी ने उसकी बात नहीं मानने पर उन्हें मामले में फंसाने की धमकी दी। ईडी अधिकारियों के खिलाफ आरोपों में एक समान इरादे से संयुक्त आपराधिक दायित्व, आपराधिक धमकी और शांति भंग करने का इरादा शामिल है।
श्री कल्लेश ने कहा कि वह अपराध में शामिल नहीं हैं, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री और वित्त विभाग के अधिकारियों को फंसाने वाला लिखित बयान देने के लिए बुलाया गया और धमकाया गया। यह मामला 187 करोड़ रुपये के कथित गबन की एक बड़ी जांच का हिस्सा है, जिसमें हैदराबाद स्थित कंपनियों को 88 करोड़ रुपये का अवैध हस्तांतरण भी शामिल है। कर्नाटक सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दोनों ही मामले की जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने जांच में ईडी को शामिल किया है, जिसके चलते पूर्व मंत्री बी नागेंद्र और वाल्मीकि निगम के अध्यक्ष एवं विधायक बसनगौड़ा दद्दाल से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। नागेंद्र को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।