आतंकवाद का कश्मीर घाटी से जम्मू शिफ्ट होना चिंता जनक है. यह बताता है कि आतंकवादी संगठनों ने अपनी रणनीति बदल दी है. जम्मू आमतौर पर शांत क्षेत्र रहा है. यहां हिंदू बहुमत में है. जम्मू में इस बार ऐसे इलाकों में आतंकवादी घटनाएं हुई है जो पाकिस्तान से लगे हुए नहीं है. जाहिर है आतंकवादी घटनाओं का जम्मू क्षेत्र में बढऩा चिंताजनक है. सुरक्षा बलों और केंद्र तथा प्रशासन को इस संबंध में अपनी रणनीति बदलना पड़ेगी. सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाएं लगभग शून्य हो गई है क्योंकि वहां सुरक्षा बलों की रणनीति कारगर रही है. कश्मीर घाटी में बर्फीले पहाड़ है जहां आतंकवादियों का छिपना आमतौर पर मुश्किल होता है. जबकि जम्मू क्षेत्र में सघन जंगल हैं, इन घने जंगलों में आतंकवादियों को छिपने में आसानी रहती है. दरअसल,कश्मीर घाटी में आतंकवाद तब तक सर उठा रहा जब तक उसे स्थानीय नागरिकों का समर्थन था. धारा 370 हटाने के बाद बदली हुई परिस्थिति में स्थानीय नागरिकों ने आतंकवादियों को समर्थन देना बंद कर दिया. जाहिर है आतंकवादी अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर हुए. यही वजह है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद कम हो गया है जबकि जम्मू में बढ़ गया है. खास बात यह है कि इस बार आतंकवादियों के निशाने पर सैनिक रहे. यह और भी चिंताजनक है.दरअसल, सोमवार रात सुरक्षाबलों की आतंकवादियों से मुठभेड़ हो गई. एनकाउंटर में सेना के एक अफसर समेत 5 जवान शहीद हो गए हैं. ये एनकाउंटर उस वक्त शुरू हुआ, जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर के स्पेशल ऑपरेशन ने डोडा से करीब 55 किमी दूर डेसा के जंगल में आतंकियों को देर शाम घेर लिया. आतंकियों ने भागने की कोशिश की और गोलीबारी शुरू कर दी. लेकिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी रही . दरअसल, जम्मू क्षेत्र में इतने घने जंगल है कि यहां आतंक विरोधी अभियान चलाना सबसे चुनौतीपूर्ण और कठिन माना जाता है. पिछले एक महीने से जम्मू के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में लगातार सर्च ऑपरेशन चल रहा है. 2021 के बाद से जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में 52 सुरक्षाकर्मियों समेत 70 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर सेना से हैं. ज्यादातर मौतें राजौरी और पुंछ जिलों से हुईं, जहां 54 आतंकवादियों को भी मार गिराया गया. बहरहाल,सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू क्षेत्र में दशकों पुराने आतंकवाद का सफाया कर दिया गया था, जिसके बाद 2005 और 2021 के बीच यहां का माहौल शांतिपूर्ण रहा. अक्टूबर 2021 में पुंछ और राजौरी से सटे सीमावर्ती जिलों से आतंकवादी गतिविधियां सामने आईं थीं. हालांकि, पिछले महीने में आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई. एक तीर्थयात्री बस पर भी हमला हुआ था, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी और 40 घायल हो गए थे. रियासी जिले में तीन और कठुआ जिले में दो अन्य आतंकवादी भी मारे गए हैं.सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार नवंबर तक जम्मू और कश्मीर में चुनाव होने हैं. ऐसे में वहां आतंकवादी घटनाओं को रोकना बहुत जरूरी है. दरअसल, धारा 370 हटाने के बाद पाकिस्तान की मुख्य खुफिया एजेंसी आईएसआई बौखला गई है. इस बार लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कश्मीर की तीनों सीटों पर 50 फ़ीसदी के लगभग मतदान हुआ. उससे भी पाकिस्तानियों को परेशानी हुई होगी. पाकिस्तान इस क्षेत्र को अशांत रखना चाहता है ताकि दुनिया का ध्यान इस ओर खींच सके. इसके अलावा केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा भी जल्दी से जल्दी बहाल करना चाहिए. जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर वहां विधानसभा का चुनाव करना चाहिए ताकि जनता के असंतोष का फायदा पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन ना उठा सकें. इसके अलावा पंजाब में बढ़ रहे आतंकवाद और असंतोष की तरफ भी केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए.
You May Like
-
6 months ago
कंगना ने की पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात
-
2 months ago
हाईराइज आईटी पार्क- 3 होगा दिसंबर 25 में तैयार