म्यूजिक कंपोजर बनना चाहते थे प्रकाश मेहरा

मुंबई, 13 जुलाई (वार्ता) बॉलीवुड में प्रकाश मेहरा ने अपनी निर्मित-निर्देशित सुपरहिट फिल्मों के जरिये दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाई है लेकिन वह अपने करियर के शुरूआत में म्यूजिक कंपोजर बनना चाहते थे।

प्रकाश मेहरा का जन्म 13 जुलाई 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ। बचपन से प्रकाश मेहरा को रेडियो पर गाने सुनने का शौक था। कम उम्र में उन्होंने गाने लिखना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने तय किया कि वह म्यूजिक कंपोजर बनेंगे। एक दिन प्रकाश मेहरा नाना के तिजोरी से 13 रुपए चुराकर मुंबई भाग गए। उन्होंने एक सैलून में काम करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक प्रकाश मेहरा ने सैलून में नौकरी की लेकिन उनका ध्यान गानों में ही लगा रहता था।इसी दौरान नाना उन्हें वापस घर ले जाने के लिए मुंबई आ गए। काफी मनाने के बाद प्रकाश मेहरा अपने नाना के साथ घर वापस चले गए। कुछ दिनों तक वो वहां रहे लेकिन फिर वह मुंबई चले गये।

प्रकाश मेहरा ने अपने करियर की शुरुआत में उजाला और प्रोफेसर जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म हसीना मान जायेगी बतौर निर्देशक प्रकाश मेहरा की पहली फिल्म थी। इस फिल्म में शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जंजीर प्रकाश मेहरा के साथ ही अमिताभ के करियर के लिए मील का पत्थर सबित हुई। बताया जाता है धर्मेन्द्र और प्राण के कहने पर प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को जंजीर में काम करने का मौका दिया और उन्हें साइंनिग अमाउंट एक रुपया दिया था। फिल्म जंजीर को बनाने के लिए उन्होंने अपनी बीवी के गहने तक गिरवी रख दिए थे।

प्रकाश मेहरा अमिताभ को प्यार से ‘लल्ला’ कहकर बुलाते थे। जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ और प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्मों का कारवां काफी दूर तक चला। इस दौरान लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर, नमक हलाल, शराबी, हेराफेरी जैसी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का परचम लहराया। प्रकाश मेहरा एक सफल फिल्मकार के अलावा गीतकार भी रहे और उन्होंने अपनी कई फिल्मों के लिये सुपरहिट गीतों की रचना की थी। इन गीतों में ..ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना, लोग कहते है मैं शराबी हूँ, जिसका कोई नही उसका तो खुदा है यारो, जवानी जाने मन हसीन दिलरूबा, जहां चार यार मिल जाये वहां रात हो गुलजार, इंतहा हो गयी इंतजार की ,दिल तो है दिल दिल का ऐतबार क्या कीजे , दिलजलो का दिलजला के क्या मिलेगा दिलरूबा ,दे दे प्यार दे ,और इस दिल में क्या रखा है ,अपनी तो जैसे तैसे कट जायेगी और रोते हुये आते है सब हंसता हुआ जो जायेगा आदि शामिल है।

बताया जाता है मुंबई में अपने संघर्ष के दिनो में प्रकाश मेहरा को अपने जीवन यापन के लिये केवल पचास रुपये में गीतकार भरत व्यास को “तुम गगन के चंद्रमा हो मैं धरा की धूल हूं” गीत बेचने के लिये विवश होना पड़ा था। प्रकाश मेहरा ने अपने सिने करियर में 22 फिल्मों का निर्देशन और 10 फिल्मों का निर्माण किया। वर्ष 2001 में प्रदर्शित फिल्म मुझे मेरी बीबी से बचाओ प्रकाश मेहरा के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुयी। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। प्रकाश मेहरा अपने जिंदगी के अंतिम पलो में अमिताभ को लेकर ..गाली..नामक एक फिल्म बनाना चाह रहे थे लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रहा और अपनी फिल्म के जरिये दर्शकों का भरपूर मनांरजन करने वाले प्रकाश मेहरा 17 मई 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।

Next Post

साय, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने किये रामलला के दर्शन

Sat Jul 13 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email रायपुर, 13 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के अयोध्या धाम में पवित्र राम जन्मभूमि में श्री रामलला के दर्शन के लिए शनिवार को जैसे ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी पहुंचे, वैसे ही पूरे […]

You May Like