छोटे किसानों के लिए अभी भी बैल जोड़ी का महत्व बरकरार है

बागली- वर्तमान में खरीफ एवं रबी फसल की बुवाई निकलई और कटाई सभी कुछ आधुनिक हो गई है। किसान परिवार खेती के अधिकतर काम ट्रैक्टर की मदद से कर लेते है। फिर भी खरीब सीजन में लगने वाली सोयाबीन मूंगफली एवं मक्का उड़द फसल मे खरपतवार निकालने के लिए फसलो के चांस के मध्य में डोरे चलाते हैं ।ऐसा करने से खरपतवार तो नष्ट होती है। साथ में पौधों पर मिट्टी भी चढ़ जाती है जिससे पौधा मजबूत रूप से खड़ा रहता है। क्षेत्र में अभी भी कुछ पशु मालिकों के पास बैल जोड़ी व्यवस्थित रूप से है ।

*चार व्यक्ति चलते हैं डोरा*

एक बैल जोड़ी में चार व्यक्ति डोरे लेकर चलते हैं। यह बैल जोड़ी और मजदूर पूरी तरह साफ मौसम में 12 घंटे में 8 बीघा तक काम कर देते हैं। इससे लगभग सामूहिक रूप से इन लोगों की ₹4000 की कमाई हो जाती है जिसमें ₹500 प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1500 मजदूरी और ₹2500 बैल की मजदूरी प्राप्त हो रही है। हालांकि यह सीजन 10 से 15 दिन चलता है। फूल आने के बाद फसलो में इसका उपयोग नहीं किया जाता। बेल नहीं मिलने की स्थिति में खरपतवार नाशक दवाई का उपयोग किसान करते हैं ।लेकिन ऐसा करने से उत्पादन में कमी आती है, इस बार (25 जून) समय पर बोवनी हो जाने से सभी फसल 15 से 20 दिन की हो गई है और डोरे चलाने काबिल हो गई है। दूसरी ओर मूंगफली फसल सहित आलू फसल को निकालने के लिए भी बैलों की आवश्यकता रहती है।

 

 

चित्र में बैल जोड़ी डोरा चलाता किसान

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