* रोजगार के लिए सूरत गये जिले के मझौली क्षेत्र के 5 श्रमिकों की मौत से खड़े हो रहे सवाल
* परासी एवं दियाडोल गांव में छाया मातम ,परिजनों को सांत्वना देने पहुंच रहे लोग
नवभारत न्यूज
सीधी/मझौली 8 जून।
रोजगार के लिए गुजरात के सूरत जिले में काम करने गए सीधी जिले के मझौली क्षेत्र के 5 श्रमिकों की असमय हुई मौत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस ह्रदय विदारक घटना को लेकर यह सवाल खड़ा हो रहा कि जिले में उद्योग और सरकार की मनरेगा योजना में समुचित रोजगार का अभाव श्रमिकों के मौत कारण बनी है! इस घटना की सूचना मिलते ही मृतक श्रमिकों के मझौली क्षेत्र के परासी एवं दियाडोल गांव में मातम छाया है। परिजनों को सांत्वना देने लोग पहुंच रहे हैं।
यहां बताते चलें कि गुजरात के सूरत जिले में शनिवार की दोपहर को हुए इस हादसे में सीधी जिले के मझौली क्षेत्र के 5 श्रमिकों की मौत की सूचना जब श्रमिकों के परिजनों को मिली तो वह गहरे मातम में डूब गए। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक मझौली थाना क्षेत्र के परासी, दियाडोल एवं नगर परिषद क्षेत्र मझौली के वार्ड क्रमांक 6 के निवासी हैं। मृतक के परिजनों के अनुसार यह घटना सूरत जिले के पाली गांव की है। जहां छ: मंजिला इबारत अचानक धराशाई हो गई। घटना के वक्त सभी मजदूर काम करने के बाद भवन के दूसरी मंजिल में स्थित अपने कमरे में आराम कर रहे थे। उसी वक्त इमारत अचानक धराशाई हो गई और सभी मलबे में दब गए और उनकी मौत हो गई। हादसे में जान गवाने वाले दो परिवारों के चार सगे भाई हैं। जिसमें मझौली थाना के पुलिस चौकी मड़वास अंतर्गत परासी निवासी बंभोली केवट के दो पुत्र हीरामणि 34 वर्ष व लालजी 32 वर्ष शामिल हैं। वहीं इनके रिश्तेदार मझौली थाना क्षेत्र के दियाडोल निवासी सौखीलाल केवट के दो पुत्र शिवपूजन 24 वर्ष व प्रवेश 22 वर्ष शामिल हैं। इसके अलावा नगर परिषद मझौली के वार्ड क्रमांक 6 कोटमा टोला निवासी अभिलाष पिता छोटेलाल केवट 32 वर्ष की भी हादसे में मौत हो गई है। हादसे की खबर मिलने के बाद से परासी, दियाडोल एवं मझौली के कोटमा टोला में मातम छाया हुआ है। परिजनों को सांत्वना देने के लिए उनके नात रिश्तेदारों के अलावा पूरा गांव पहुंचा हुआ है। अब सभी को सूरत से गृह गांव आ रहे मृतकों के शवों का इंतजार है। मृतकों के शव आज देर शाम तक विशेष वाहनों से पहुंच जाएगा। इसके बाद शवों की अंत्येष्ठि की जावेगी। इस दौरान अधिकारियों के साथ ही पुलिस अमला भी मौके पर मौजूद रहेगा। चर्चा के दौरान मृतकों के कई परिजनों ने कहा कि श्रमिक लंबे समय से सूरत में काम के लिए जा रहे थे। यहां ना ही कोई बड़े उद्योग हैं ना ही समुचित रोजगार मिलता है।आज-कल के युवा श्रमिक कि रुचि बड़ी कंपनियों एवं फैक्ट्रियों में काम करने की होती है। इसी वजह से घर वालों के मना करने के बाद भी अधिकांश यहां के युवा श्रमिक बाहर ही काम करने के लिए जाते हैं।
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कुछ पैसा इकठ्ठा करके चार-छ: महीने में आयेंगें
परासी निवासी बंभोली केवट के दोनो बेटे हीरामणि व लाल जी पिछले 1 जुलाई को ही सूरत काम के लिए गए थे।जाते समय कहे थे अब कुछ पैसा इकठ्ठा करने के बाद चार-छ: महीने में ही वापस आएंगे। हीरामणि की तीन बेटियां हैं, सबसे बड़ी 9 वर्ष, दूसरी 5 वर्ष तथा सबसे छोटी तीन वर्ष की है। वहीं लालजी के भी तीन संताने हैं। जिसमें सबसे बड़ा बेटा 12 वर्ष, दूसरा बेटा 5 वर्ष व सबसे छोटी बेटी 3 वर्ष की है। इन मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया।
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परिवार के सामने खड़ा हो गया रोजी-रोटी का संकट
नगर परिषद मझौली के वार्ड क्रमांक 6 कोटमा टोला निवासी मृतक अभिलाष की 65 वर्षीया विधवा मां सुखरजुआ केवट ने बताया कि अभिलाष जब डेढ़ माह का था तब उसके पिता सिंगरौली मजदूरी करने गए थे। जहां मशीन में कट जाने के कारण उनकी भी मौत हो गई थी और उनका शव आया था। बेसहारा मां बड़े संघर्ष के साथ दो बच्चे जिसमें बड़ा कैलाश केवट एवं छोटा अभिलाष को पाल पोश कर तैयार किया था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि पिता की तरह उसके पुत्र की भी लाश आएगी। मृतक अभिलाष की पत्नी शशिकला केवट ने बताया तीन बेटी हैं, जिनमें बड़ी बच्ची अंशिका 6 वर्ष, दूसरे नंबर की आरुषि 4 वर्ष एवं सबसे छोटी आरोही 10 माह की है। रोजी-रोटी का कोई जरिया नहीं है पूरा परिवार मृतक पर ही आश्रित था।
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कारखानों में रोजगार के लिए पलायन करना मजबूरी
जिले में उद्योग – बड़े कारखाने न होने से काम की तलाश में बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है। यहां से बड़ी संख्या में श्रमिक काम की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करते हैं। मनरेगा में भी काम नहीं मिलता यदि काम मिलता भी है तो समय पर मजदूरी नहीं मिलती। जितनी मजदूरी मिलती है उससे परिवार का गुजारा भी नहीं हो पाता जिसके कारण बड़ी संख्या में श्रमिक रोजी रोटी के लिए महानगरों में जाकर काम करते हैं।
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दो सगे भाइयों की हुई मौत
दियाडोल निवासी दो सगे भाई सौखीलाल एवं प्रवेश केवट की हादसे में मौत हुई है। दोनो पिछले करीब दस वर्ष से सूरत में ही मजदूरी कर रहे थे। प्रवेश की पत्नी अर्चना ने बताया, डेढ़ वर्ष पूर्व उसकी शादी हुई थी और 5 माह की उसकी बच्ची है। बीते फरवरी माह में बेटी का जन्म हुआ है। तब उसके पति प्रवेश घर पर ही थे। मार्च माह में सूरत कमाने चले गए थे, जहां दोनों भाई एक साथ रहते थे। सौखीलाल व प्रवेश के पिता मुंबई में मजदूरी करते हैं, जबकि माता की मृत्यु 5 वर्ष पूर्व हो चुकी है।
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इनका कहना है-
दियाडोल पंचायत के दोनो मृतक श्रमिक करीब 5-6 वर्ष से बाहर जाकर ही काम कर रहे थे। स्थानीय स्तर पर उनके द्वारा कभी काम नहीं किया गया। उनकी पंचायत काफी छोटी है, उसका काफी क्षेत्र नगर परिषद मझौली में चला गया है। इस वजह से काम भी काफी कम रहता है। वर्तमान में मनरेगा कंजर्वेशन मद से नाली निर्माण का काम हो रहा है। जिसमें 40 लेबर काम में लगे हैं।
कुशुमकली केवट, सरपंच, ग्राम पंचायत दियाडोल
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परासी के जिन श्रमिका की सूरत में मौत हुई है वह कई सालों से वहां काम कर रहे थे। इनके द्वारा उनके कार्यकाल में कुछ दिन यहां काम किया गया था। बाद में सूरत में ही काम करते थे। उनके क्षेत्र के 20-25 श्रमिक सूरत में काम करते हैं। सभी स्थानीय स्तर पर मिट्टी, सीमेंट का काम नहीं करना चाहते है। इस वजह से बाहर जाकर ही काम करते हैं। वर्तमान में ग्राम पंचायत भुमका के परासी क्षेत्र में मनरेगा के तहत कच्चे काम ही चल रहे हैं जिसमें तालाब का कुछ चल रहा है। यदि बारिश हुई तो बंद हो जाता है। वहीं खेत तालाब का भी कुछ काम चल रहा है। मनरेगा के तहत ही विभागीय रोड का निर्माण भी किया जा रहा है जिसमें श्रमिकों को काम दिया जा रहा है।
संध्या लालाभैया शुक्ला, सरपंच, ग्राम पंचायत भुमका
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