संघ के प्रांत प्रचारकों की बैठक में मालवा प्रांत की रिपोर्टिंग की जाएगी 

सियासत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र की हाल ही में कई बैठकें हुई. इन बैठकों में मालवा प्रांत की ओर से नवनियुक्त प्रांत प्रचारक राजमोहन सिंह शामिल हुए. इधर,संघ की महत्वपूर्ण प्रांत प्रचारकों की बैठक जुलाई महीने के अंत में होने वाली है।इसमें मालवा प्रांत की रिपोर्टिंग भी की जाएगी. सूत्रों के अनुसार मध्य क्षेत्र इकाई की हाल की बैठक में तय किया गया कि मालवा प्रांत में संघ का नेटवर्क विशेष रूप से दलित और आदिवासियों में मजबूत किया जाएगा. इंदौर और उज्जैन संभाग को मिलाकर संघ ने मालवा प्रांत की रचना की है जिसमें मुख्य रुप से मालवा और निमाड़ अंचल आता है.

निमाड़-अंचल में जहां आदिवासी मतदाता काफी संख्या में रहते हैं. वही मालवा अंचल में दलितों की काफी तादाद है. निमाड़ में धार, खरगोन और झाबुआ के रूप में 3 आदिवासी लोकसभा क्षेत्र हैं. जबकि मालवा अंचल में उज्जैन और देवास-शाजापुर के रूप में दो दलितों के लिए आरक्षित लोकसभा क्षेत्र हैं. संघ के नेटवर्क के वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सभी सीटें अच्छे अंतर से कितने में सफलता प्राप्त हुई है.

वैसे बैठक में जो फीडबैक दिया गया उसके अनुसार मालवा प्रांत में संघ का काम बढा¸ है। 2025 के मद्देनजर गांव-गांव में संघ का नेटवर्क मजबूत हो इस की कोशिशें चल रही हैं. मालवा प्रांत यानी इंदौर और उज्जैन संभाग में पहले शाखाओं की संख्या 2875 थी जो अब 3930 हो गई हैं. इसी के साथ संघ परिवार के अनुषांगिक संगठनों का नेटवर्क भी मजबूत हुआ है. इनमें सेवा भारती, ग्राम भारती, वनवासी कल्याण परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ और विश्व हिंदू परिषद शामिल हैं. संघ ने पिछले 5 वर्षों में कुटुंब प्रबोधन नामक नया विभाग चालू किया है जिसमें संयुक्त परिवार की अवधारणा को प्रोत्साहित किया जाता है. कुटुंब प्रबोधन से संघ का जुड़ाव सीधे परिवार से होता है. इस काम में भी तेजी से वृद्धि हो रही है.

संघ ने ग्राम विकास का प्रकल्प भी अपने हाथों में लिया है. इसके तहत प्रत्येक जिले में एक गांव को आदर्श गांव बनाया जाएगा. इस वर्ष मार्च में संपन्न नागपुर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में तय किया गया कि संघ बेरोजगारी को दूर करने के लिए भी प्रयत्न करेगा इसी सिलसिले में रोजगार सृजन केंद्रों की श्रृंखला मध्य भारत प्रांत में चल रही है. इस तरह के रोजगार सृजन केंद्र मालवा प्रांत में भी स्थापित किए जाएंगे. संघ ने भाजपा से भी कहा है कि वह आदिवासियों और दलितों को फोकस में रखकर अपना कार्य विस्तार करें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों की सक्रियता का लाभ राजनीतिक रूप से भाजपा को मिलता है.

इसलिए मध्यप्रदेश में यदि संघ परिवार का काम मजबूत होता है तो इसका लाभ निश्चित रूप से भाजपा को मिलता है. इधर,धर्मांतरित आदिवासियों यानी ईसाई धर्म ग्रहण कर चुके आदिवासियों को आरक्षण देने के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अभियान छेड़ रखा है. संघ ने एक मंच बनाकर, उसके बैनर तले मालवा निमाड़ और महाकौशल प्रांत के कई शहरों में बड़ी रैलियां की हैं. संघ का मानना है कि सैद्धांतिक रूप से ईसाई धर्म में ऊंच नीच या भेदभाव नहीं है और ईसाई धर्म अपनाकर आदिवासी सुपीरियर बन जाते हैं,तो उन्हें आरक्षण देने की क्या जरूरत है? इस मुद्दे को लेकर संघ परिवार ने पिछले दिनों मालवा निमाड़ में माहौल गर्मा दिया था

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