नयी दिल्ली 30 जून (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन ज्ञान विज्ञान की समृद्ध भाषा संस्कृत को सम्मान देने और दैनिक जीवन में अपनाने का आह्वान करते हुए आज कहा कि इस प्राचीनतम एवं वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
श्री मोदी ने लोकसभा चुनावों के कारण तीन माह के अंतराल के बाद आकाशवाणी पर अपनी नियमित श्रृंखला ‘मन की बात’ के 111वें संस्करण में यह आह्वान किया। उन्होंने कार्यक्रम में संस्कृत में संवाद करते हुए कहा, “मम प्रिया: देशवासिन: अद्य अहं किञ्चित् चर्चा संस्कृत भाषायां आरभे। यानी मेरे प्रिय देशवासियों आज मैं संस्कृत भाषा पर कुछ चर्चा शुरू करता हूं।” उन्होंने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि ‘मन की बात’ में अचानक संस्कृत में क्यों बोल रहा हूँ ? इसकी वजह, आज संस्कृत से जुड़ा एक खास अवसर है। आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 50 वर्षों से लगातार इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को संस्कृत से जोड़े रखा है। मैं आकाशवाणी परिवार को बधाई देता हूँ।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “साथियों, संस्कृत की प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की प्रगति में बड़ी भूमिका रही है। आज के समय की मांग है कि हम संस्कृत को सम्मान भी दें, और उसे अपने दैनिक जीवन से भी जोड़ें। आजकल ऐसा ही एक प्रयास बेंगलुरू में कई और लोग कर रहे हैं। बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई सत्र भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत सप्ताहांत ! इसकी शुरुआत एक वेबसाइट के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ ये प्रयास बेंगलुरूवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।”