भुवनेश्वर (वार्ता) ओड़िशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने बुधवार को विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के बीच विधानसभा को निर्धारित समय से दो दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।
22 जुलाई को शुरू हुए 17वीं विधानसभा के पहले सत्र में कई हंगामेदार सत्र देखने को मिले। इसमें विपक्षी बीजद और कांग्रेस के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर सदन की कार्यवाही को बाधित करते रहे।
विपक्षी सदस्यों ने लगातार एक सप्ताह तक राज्यपाल रघुबर दास के बेटे द्वारा एक सरकारी कर्मचारी पर कथित हमला, कानून व्यवस्था की समस्या, एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण, जाति जनगणना, चिकिटी जहरीली शराब त्रासदी और सुभद्रा योजना को लेकर हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
सत्र मूल रूप से 13 सितंबर को समाप्त होने वाला था लेकिन बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग द्वारा तारा प्रसाद बाहिनीपति (कांग्रेस), ध्रुबा साहू और ब्रज प्रधान (बीजद) के खिलाफ सदन के अंदर उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए लाए गए निंदा प्रस्ताव के बाद आज शाम हंगामा मच गया। प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
निंदा प्रस्ताव के विरोध में नाराज बीजद और कांग्रेस सदस्य सदन के वेल में आ गए और 30 मिनट से अधिक समय तक भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे। भाजपा सदस्य उपासना महापात्रा और संजलि मुर्मू ने भी तीनों विधायकों के खिलाफ उनके अभद्र व्यवहार के लिए अध्यक्ष को एक याचिका सौंपी, जिसे आचार समिति को भेज दिया गया।
सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी जिनके पास वित्त विभाग भी है ने 25 जुलाई को 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए 2.65 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया। विनियोग विधेयक 10 सितंबर को अपनाया गया था। ओडिशा माल और सेवा कर विधेयक 2024 पारित किया गया।