आषाढ़ माह में तिथि लोप होने से बना संयोग, 13 दिन का होगा कृष्णपक्ष

ऐसे योग में अतिवृष्टि, अनावृष्टि राजनीति में हलचल जैसी आशंका

उज्जैन: हिन्दू कलेण्डर में एक माह में दो पक्ष होते हैं। एक कृष्ण व दूसरा शुक्ल पक्ष। यह सामान्यत: 15-15 दिन के होते हैं, लेकिन इस वर्ष आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष 15 के स्थान पर 13 दिन का ही रहेगा। ज्योतिष के विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे योग कम ही बनते हैं। इस तरह के योग को सही नहीं माना जाता।ज्योतिषाचार्य जय शिव के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाय 13 दिन ही रहेंगे। इसे भारतीय शास्त्रों में विश्व घस्र पक्ष नाम दिया गया है। कृष्ण पक्ष 23 जून को शुरू हो गया जो 5 जुलाई तक रहेगा।

ऐसे योग में अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजनीति में हलचल जैसी आशंकाएं रहती है। वर्ष 1934, 1937, 1962, 1979, 1999 व 2005, 2010 व 2021 में ऐसा योग बना था। तिथियों का निर्धारण सूर्य-चन्द्रमा की गति पर निर्भर करता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा तिथि का क्षय होने के कारण एक दिन कम हो गया। पक्ष के अंत में चतुर्दशी तिथि का भी क्षय हो रहा है। दो तिथियां टूटने से यह पक्ष 13 दिवस का रह गया। आमतौर पर एक ही तिथि घटती या बढ़ती है तो पक्ष 14 या 16 दिन का हो जाता है। हालांकि शुक्ल पक्ष में एक तिथि बढऩे से माह 29 दिन का रहेगा।

प्रमुख व्रत और त्योहार-27 जून 2024 दिन गुरुवार को संकष्टी चतुर्थी व्रत, 28 जून 2024 दिन शुक्रवार को मासिक कालाष्टमी व्रत, 2 जुलाई दिन मंगलवार को योगिनी एकादशी व्रत, 3 जुलाई दिन बुधवार को कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, 4 जुलाई दिन गुरुवार को मासिक शिवरात्रि, 05 जुलाई दिन शुक्रवार को आषाढ़ अमावस्या, 06 जुलाई दिन बुधवार को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, 07 जुलाई 2024 दिन गुरुवार को जगन्नाथपुरी रथयात्रा, 09 जुलाई 2024 दिन शनिवार को विनायक चतुर्थी व्रत, 11 जुलाई 2024 दिन सोमवार को स्कन्द षष्ठी व्रत, 16 जुलाई 2024 दिन मंगलवार को कर्क संक्रांति का पर्व, 17 जुलाई 2024 दिन बुधवार को देवशयनी एकादशी, 18 जुलाई 2024 दिन गुरुवार को शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत.21 जुलाई 2024 दिन रविवार को आषाढ़ पूर्णिमा व्रत रहेगा।

भगवान विष्णु और लक्ष्मी पूजन शुभ होता है
अषाढ़ मास के बाद अब आषाढ़ मास की शुरुआत होने वाली है, जो व्रतों और त्योहारों से भरपूर होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में 14 प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। इनमें से प्रमुख हैं देवशयनी एकादशी, गुप्त नवरात्री, और जगन्नाथ रथ यात्रा, इस माह में भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित माना जाता है, जिनकी पूजा-अराधना विशेष रूप से की जाती है। 23 जून से आषाढ़ माह की शुरुआत हो गई और यह 21 जुलाई 2024 तक चलेगा। देवशयनी एकादशी भी इसी महीने में होती है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में शयन निद्रा में चले जाते हैं. इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।

आषाढ़ नवरात्र के दौरान देवशयनी एकादशी मनाई जाती है, इस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है। आषाढ़ माह में योगिनी एकादशी प्रदोष व्रत मासिक शिवरात्रि कर्क संक्रांति गुरु पूर्णिमा समेत कई अन्य व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ माह में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस माह में दान-धर्म का भी विशेष महत्व है. आषाढ़ माह में भगवान सूर्य देव के पूजन से रोग से भी मुक्ति मिलती है।

Next Post

वंसुधरा को हरा भरा बनाने आचार्यश्री का संकल्प

Thu Jun 27 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email युवाओं में पर्यावरण की अलख जगाने कर रहे पद यात्रा सुसनेर:बढते तापमान से हर कोई परेशान होकर पौधारोपण करने और पर्यावरण संरक्षित रखने की बात कर रहा है. युवाओं को पर्यावरण से जोडकर पौधारोपण के लिए प्रेरित […]

You May Like