नयी दिल्ली, 26 जून (वार्ता) देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने और पुराने पड़ चुके कानूनों को समाप्त करने के उद्देश्य से पिछली लोकसभा में पारित तीनों नये आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को आगामी एक जुलाई से लागू किये जाने की तैयारी कर ली गयी है।
इन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद गत 25 दिसम्बर को अधिसूचित किया गया था।
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ नियमित बैठकें की हैं। राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करने के मामले में पूरी तरह तैयार हैं।
नए आपराधिक कानून भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन कानूनों का उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली बनाना है। नए आपराधिक कानूनों के प्रमुख प्रावधानों में घटनाओं की ऑनलाइन रिपोर्ट करना, किसी भी पुलिस थाने पर प्राथमिकी यानी जीरो एफआईआर दर्ज करना, प्राथमिकी की निःशुल्क प्रति देना, गिरफ़्तारी होने पर सूचना देने का अधिकार, गिरफ्तारी की जानकारी प्रदर्शित करना, फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह और वीडियोग्राफी, त्वरित जांच, पीड़ितों को मामले की प्रगति का अपडेट देना, पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए निःशुल्क चिकित्सा उपचार, इलेक्ट्रॉनिक समन, पीड़िता के महिला मजिस्ट्रेट द्वारा बयान, पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराना, न्यायालय में सीमित स्थगन, गवाह सुरक्षा योजना, जेंडर समावेश,सभी कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक मोड में होना, बयानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, विशेष परिस्थितियों में पुलिस थाने जाने से छूट, जेंडर-न्यूट्रल अपराध, सामुदायिक सेवा, अपराधों के लिए अपराध की गंभीरता के अनुरूप जुर्माना, सरलीकृत कानूनी प्रक्रियाएं एवं तीव्र एवं निष्पक्ष समाधान शामिल हैं।
सरकार ने इन तीनों कानूनों को लागू करने के लिए पुलिस कर्मियों, जेल कर्मियों, अभियोजकों, न्यायिक अधिकारियों, फॉरेंसिक कर्मियों के साथ-साथ आम जनता सहित सभी पक्षों के बीच विभिन्न पहल शुरू की है ताकि तीनों नए कानूनों के बारे में व्यापक जागरूकता फैले और इन कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। चूंकि नए आपराधिक कानूनों में जांच, ट्रायल और अदालती कार्यवाहियों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है, इसलिए राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो ने मौजूदा अपराध एवं अपराधी पहचान नेटवर्क प्रणाली में 23 सुधार किए हैं। इसके अलावा ब्यूरो ने नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन में राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की निरंतर समीक्षा और सहायता के लिए 36 टीमें और कॉल सेंटर बनाए हैं।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने नए आपराधिक कानूनों के तहत अपराध स्थलों, न्यायिक सुनवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक रूप से अदालती समन की तामील की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सुविधा के लिए ई-साक्ष्य, न्यायश्रुति और ई-समन ऐप विकसित किए हैं। पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित कर सभी हितधारकों के साथ साझा किए हैं। उसने 250 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ,वेबिनार और सेमिनार भी किए जिनमें 40,317 अधिकारियों तथा कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। ब्यूरो के मार्गदर्शन में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने 5,84,174 कर्मियों की क्षमता निर्माण का काम भी किया, जिनमें जेल, फॉरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन पक्ष के 5,65,746 पुलिस अधिकारी और कर्मी शामिल हैं। कर्मयोगी भारत और विकास ब्यूरो नए आपराधिक कानूनों पर तीन-तीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं, जिनमें अब तक 2,17,985 कर्मियों ने नामांकन कराया है।
देशवासियों को इन परिवर्तनकारी सुधारों के बारे में जागरूक बनाने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों पर इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने वेबिनारों के माध्यम से नए कानूनों का प्रचार-प्रसार किया है, जिनमें लगभग 40 लाख जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। विधिक मामलों के विभाग ने राज्यों की राजधानियों में चार सम्मेलन भी आयोजित किए, जिनमें देश के प्रधान न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उच्चतर शिक्षा विभाग के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नए कानूनों के बारे में शिक्षकों और छात्रों को विषय से अवगत कराने के लिए 1,200 विश्वविद्यालयों और 40,000 कॉलेजों और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने लगभग 9,000 संस्थानों को नए कानूनों के बारे में जानकारी दी है।
कानूनों के व्यापक प्रचार प्रसार और इनके बारे में जन जागरूकता फैलाने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने विभिन्न पहल की हैं। पत्र सूचना कार्यालय नए आपराधिक कानूनों के उद्देश्य और लाभ के बारे में जानकारी देने के लिए देशभर में “वार्तालाप” नाम से मीडिया कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में अब तक 17 कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। नए कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों और फायदों को प्रचारित करने के लिए दूरदर्शन और आकाशवाणी पूरे देश में विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं। डीडी न्यूज और डीडी इंडिया ने 24 परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किए हैं। राज्यों की राजधानियों में डीडी न्यूज की प्रादेशिक समाचार इकाइयों ने नए कानूनों के बारे में 90 से अधिक परिचर्चा कार्यक्रमों का आयोजन और 450 से अधिक खबरों का प्रसारण किया है। इसी तरह, आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग ने 22 वार्ता तथा परिचर्चा का प्रसारण किया है। आकाशवाणी की प्रादेशिक समाचार इकाइयों ने तीन नए आपराधिक कानूनों के बारे में 35 वार्ता और परिचर्चा का प्रसारण किया है।