नैतिक मूल्य मरने से हो रही है पेपर लीक जैसी घटनाएं : हरिवंश

नयी दिल्ली, (वार्ता) राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि समाज ने नैतिक मूल्यों और मर्यादाओं को खो दिया है इसलिए देश में पेपर लीक जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो रही है।

श्री हरिवंश ने रविवार को यहां वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार बच्चन के मैथिली उपन्यास ‘बिलटल गाम’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि उपन्यास गांव के चरित्र तथा नैतिक मूल्यों से भरा है और उनको मैथिली भाषा में जिस खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया है वह अद्भुत है।
उपन्यास में गांव देहात में मूल्यों के लगातार हो रहे क्षरण की गहराई से पड़ताल की गई है।

उन्होंने कहा कि गांव में जो मूल्य पहले स्वतः व्यक्ति सीखता था उनमे किसी का अनादर नहीं करना, अनैतिक काम नहीं करना और किसी तरह से गलत काम करके धन अर्जित नहीं करना था लेकिन आज मूल्य खत्म हो गए हैं और समाज में उन लोगों को तरजीह मिलने लगी है जो अनैतिक कार्य कर धन अर्जन का गलत तरीका अपना रहे हैं।

यही कारण है कि इन मूल्यों के अभाव में आदमी भटक गया है और वह पेपर लीक जैसे अनैतिक कार्य कर रहा है।

राज्यसभा में उपसभापति ने उपन्यास की शैली, ग्रामीण जीवन के बारीक चित्रण, परिवेश के अनुकूल शब्दों के चयन की प्रशंसा की और कहा कि इतना बड़ा उपन्यास मैथिली में लिखा जाना आसान नहीं है।
यह काम वही कर सकता है जिसमें अभिव्यक्ति की असाधारण क्षमता हो।
उपन्यास में जिन मूल्यों को पिरोया गया है उनको स्थापित करने की ज़रूरत हैं।

उन्होंने उपन्यास के कई अंश पढ़कर सुनाये और कहा कि जिस अभिव्यक्ति के साथ कथ्य को अभिव्यक्त किया गया है उसे पढ़ते हुए पाठक अनायास ही गांव की चौपाल पर पहुंच जाता है और गांव में बिताए दिनों की याद में खो जाता है।

श्री हरिवंश ने कहा कि सबसे खराब स्थिति यह है कि गांव में बैठकी टूट रही है।
बैठकी टूटने से समाज के मूल्य बदल रहे हैं और उनका पतन हो रहा है।

गांव समाज की बैठकी में पहले जिस नैतिकता का विकास होता था व्यक्ति उन मूल्यों को समझकर उनका पालन जीवन मे करता जिससे समाज में मूल्यों को मजबूती मिलती लेकिन अब बैठकी टूट रही है और मूल्य भी खत्म हो रहे है।

पुस्तक के लेखक अवधेश बच्चन को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मैथिली भाषा में गांव, खेत खलिहान और ग्रामीण समाज का जो चित्रण किया गया है वह अद्भुत है।
सबसे बड़ी बात यह है कि मैथिली भाषा में यह सब काम हुआ है

उन्होंने कहा कि पुस्तक में जो जीवंतता पात्रों को मैथिली शब्दावली के क्षरण मिली है उससे यह भी सिद्ध हो गया है कि अच्छा साहित्य सिर्फ अपनी भाषा में ही लिखा जा सकता है।

उन्होंने कई उदाहरण दिए और बताया कि दुनिया के अनेक महान लेखकों की अमर कृतियां अपनी भाषा में लिखी गई है और इन रचनाओं ने वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हासिल की है।

श्री बच्चन का यह उपन्यास भी इतना बेहतर इसलिए बन सका है क्योंकि उसे लेखक ने उसी परिवेश की भाषा में अभिव्यक्ति दी है जिसमें उसका पात्र जीता है।

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