छिंदवाड़ा। खरीफ सीजन के लिए मानसून के आगमन के साथ ही जिले की प्रमुख फसल मक्का की बोवनी शुरू हो जाएगी। इस साल मल्टी नेशनल कपनियों ने बीजों के दाम में 20 से 40 फीसदी की वृद्धि कर दी है। सरकारी अनुदान के अभाव में देशी बीजों की आपूर्ति बंद हो गई है। ऐसे में बीज खरीदी करने बाजार पहुंच रहे किसानों के माथे पर चिंता झलक रही है। पूरे जिले में मक्का का रकबा 3.50 लाख हेक्टेयर है। मानसून आते ही किसान अपने खेतों की तैयारी के साथ खाद-बीज के इंतजाम में जुट गए हैं। ऐसे में किसानों को खाद-बीज की दुकानों में देखा जा रहा है। किसानों के मुताबिक पिछले साल 2023 में मक्का के ब्रांडेड बीज के चार किलो का पैकेट 1250-1300 रुपए तक उपलब्ध था। इस वर्ष 2024 में यही बीज 400 रुपए पैकेट महंगा होकर 1700-1800 रुपए में मिल रहा है। बाजार के ये दाम सुनकर किसानों के होश उड़ रहे हैं। इससे उनकी प्रति एकड़ लागत बढ़ रही है। ग्राम झिरलिंगा के किसान नरेश ठाकुर तथा ग्राम चारगांव के रामराव चरपे ने कहा कि बीज महंगे होने से किसानों पर आर्थिक बोझ और कृषि लागत बढ़ गई है।
नहीं मिल पा रहे देशी बीज
कृषि अधिकारियों का कहना है कि पहले सरकार की अन्नपूर्णा और सूरजधारा योजना चलती थी। वर्ष 2019 से ये बंद पड़ी है। पहले इस योजना में सरकारी स्तर पर देशी बीज मंगाकर दे दिया जाता था। अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। केवल निर्धारित दाम पर निजी बीज की उपलब्धता की निगरानी की जा रही है। इधर, किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें कृषि विभाग की ओर से देशी बीज बुलवाकर दिए जाए।
बीजों के दामों में बढोत्तरी
खाद-बीज दुकानदारों के अनुसार किसान इस समय मल्टी नेशनल कंपनियों के ब्रांडेड हाइब्रिड बीज मांग रहे हैं। इसके साथ ही सिवनी, बालाघाट, बैतूल, सागर के अलावा मालवा क्षेत्र के जिले तथा ग्वालियर में मक्का के रकबे में वृद्धि हुई है। इससे इन इलाकों में भी मक्काबीज की डिमांड है। इसे देखते हुए इन कंपनियों ने 400 रुपए प्रति पैकेट बीज के दाम बढ़ा दिए हैं। मक्का बीज का बाजार शत प्रतिशत निजी हाथों में हैं। सरकारी देशी बीज नहीं मिल पा रहे हैं।
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