हाईकोर्ट ने दिये एफआईआर खारिज करने के निर्देश
जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि महिला ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज प्रताड़ना व क्रूरता की रिपोर्ट दर्ज करवाती है तो यह उसका कानूनी हक है। ससुराल पक्ष के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करना नहीं माना जा सकता है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ पत्नी तथा उनके माता-पिता के खिलाफ दर्ज किये गये धारा 306 की एफएफआई तथा न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किये हैं।
याचिकाकर्ता बीनू लोधी, उसकी मॉ शिव कुमारी लोधी तथा पिता बहादुर लोधी निवासी सागर की तरफ से हाईकोर्ट में धारा 306 के तहत प्रकरण दर्ज किये जाने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि बीनू का विवाह नरसिंहपुर निवासी मनीष लोधी से हुआ था। विवाद के बाद कम दहेज लाने पर पति तथा सास-ससुर उसके साथ क्रूरता करते हुए मानसिक व शारीरिक यातना देते थे। सुसराल पक्ष के लोगों ने उसका स्त्रीधन छीनकर उसे घर से निकाल दिया था। जिसके कारण उसने पति, सास-ससुर के खिलाफ राहतगढ़ थाना जिला सागर में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
एफआईआर दर्ज होने के बाद उसके पति मनीष लोधी ने जहरीली वस्तु का सेवन कर आत्महत्या कर ली थी। मृतक के परिजनों ने बयान दिये थे कि पत्नी व ससुराल पक्ष ने दहेज प्रताडना की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इसलिए मनीष ने आत्महत्या की है। नरसिंहपुर जिले के सुआतला थाने में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धारा 306 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। पुलिस ने उक्त मामले में न्यायालय के समक्ष चालान भी पेश कर दिया है।
याचिका में दर्ज एफआईआर तथा न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज की जाने की राहत चाही गयी थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि दहेज प्रताड़ना के त्रस्त होने के कारण सुसराल पक्ष के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट दर्ज कराने को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित नहीं होता है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि रिपोर्ट झूठी थी, इस फैसला न्यायालय को गवाहों के आधार पर करना था। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका कर्ताओं को राहत प्रदान की है।