सास की निर्मम हत्या करने वाली बहू को मृत्यु दण्ड की सजा दो वर्ष पूर्व की थी हत्या, ससुर सबूत के अभाव में बरी

नवभारत न्यूज

रीवा, 9 जून, मनगवां थाना अन्तर्गत दो साल पूर्व अतरैला बारसिंघा गांव में एक बहू ने अपनी सास को धारदार हथियार मार कर मौत के घाट उतार दिया था. आरोपिया ने उस समय वारदात को अंजाम दिया था जब घर में कोई नही था. पति कमाने के लिये बाहर गया हुआ था और ससुर किसी काम से जबलपुर गया था. पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया. जहां चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती पद्मा जाटव ने मृत्युदण्ड की सजा सुनाई है. इस मामले में ससुर को भी सह आरोपी बनाया गया था. लेकिन सबूतो के अभाव में उसे दोष मुक्त किया गया.

जानकारी के मुताबिक ग्राम अतरैला बारसिंघा में बहू कंचल कोल पति रविशंकर कोल ने अपनी सास सरोज कोल के ऊपर 12 जुलाई 2022 को तडक़े 5 बजे हसिया जैसे धारदार हथियार से हमला कर दिया था. सास और बहू के बीच घरेलू विवाद एवं बातचीत आये दिन होती रहती थी और जब घर में कोई नही था तो मौका पाकर बहू कंचन ने सास को मौत के घाट उतार दिया. सुबह संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां मृतिका ने दिये अपने बयान में बहू द्वारा हमला किये जाने की बात बताई थी. उपचार के दौरान सास की मौत हो गई थी. पुलिस ने धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच की. जिसमें ससुर बाल्मीक कोल को भी सह आरोपी बनाया गया. आरोपिया से पूछताछ के आधार पर एक अन्य आरोपी जिसका नाम वाल्मीक कोल था जो कि अपने पत्नी सरोज कोल के हत्या करने की योजना में अपनी बहू कंचन कोल के साथ शामिल था जिसके आधार पर बाल्मिक कोल को भी हत्या करने की साजिश जैसे अपराध में धारा 302 सहपठित धारा 120 बी आईपीसी के तहत आरोपी बनाया गया था. उसे भी गिरफ्तार कर पूछताछ की गई थी जिसमें वह हत्या करने की योजना में शामिल होना बताया था. पुलिस ने विवेचना के उपरांत चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती पदमा जाटव के यहा चालान पेश किया. दोनो पक्षो को सुनने के बाद एवं प्रस्तुत किये गये साक्ष्यो के आधार पर आरोपिया कंचल कोल को मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई एवं एक हजार के अर्थदण्ड से दंडित किया. जबकि ससुर बाल्मीक कोल को सबूतो के अभाव के कारण दोष मुक्त किया गया.

न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला रहा: अपर लोक अभियोजक

मामले की पैरवी कर रहे हैं अपर लोक अभियोजक एडवोकेट विकास द्विवेदी ने बताया कि आरोपिया कंचन कोल के विरुद्ध मामला प्रमाणित पाए जाने पर चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती पदमा जाटव द्वारा गवाहों एवं सबूतो के आधार पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धारा 302 आईपीसी के तहत मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई साथ ही 1000 के अर्थ दंड से भी दंडित किया गया. अर्थ दंड के व्यतिक्रम में 1 माह का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगताया जायेगा एवं धारा 120 बी में दोष मुक्त किया गयाहै. एक अन्य आरोपी वाल्मीकि कोल को सबूतों के अभाव के कारण धारा 302 एवं सहपाठी धारा 120 बी भारतीय दंड विधान के तहत दोष मुक्त किया गया.

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