लोकसभा चुनाव: 21 बहुसंख्यक वार्डों पर 8 मुस्लिम वार्ड भारी

लाड़ली बहना, तीन तलाक, पीएम आवास के बाद भी मुस्लिम वार्डों से हारी भाजपा

 

शाजापुर, 8 जून. तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में शहर के मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में भाजपा को करारी हार मिली थी और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में भाजपा को करारी हार मिली. मुस्लिम वार्डों में विधानसभा चुनाव में लाड़ली बहना का असर नहीं दिखा और कांग्रेस को फायदा मिला, तो लोकसभा में भी लाड़ली बहना, तीन तलाक और पीएम आवास सहित अन्य योजनाओं का फायदा भाजपा को नहीं मिला. जहां वार्ड नंबर 28 से भाजपा सबसे ज्यादा वोटों से जीती, तो वार्ड नंबर 5 से किसी भी चुनाव में भाजपा नहीं जीत सकी.

गौरतलब है कि शाजापुर शहर के 8 से अधिक मुस्लिम बाहुल्य वार्ड से भाजपा को विधानसभा में भी करारी हार मिली थी और लोकसभा में भी हार का सामना करना पड़ा. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में लाड़ली बहना, तीन तलाक और पीएम आवास येाजना का लाभ भाजपा को नहीं मिला. जबकि भाजपा को उम्मीद थी कि लाड़ली बहना और तीन तलाक सहित पीएम आवास योजना के लाभार्थी अल्पसंख्यक समाज का वोट भाजपा को मिल सकता है, लेकिन इसके उलट अल्पसंख्यक समाज ने इन वार्डों से कांग्रेस को बम्पर मतदान किया. तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में शहर के मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में बम्पर वोटिंग होने के कारण शाजापुर शहर से भाजपा मात्र 103 वोट से ही चुनाव जीत सकी. तो वहीं लोकसभा चुनाव में भी शहर से भाजपा 4500 वोट से ही चुनाव जीती है. विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता और भाजपा की गुटबाजी के कारण विधायक अरुण भीमावद को मात्र 103 वोटों से ही जीत मिल सकी थी.

योजना का लाभ भी वोट नहीं दिला पाई भाजपा को…

चाहे लाड़ली बहना योजना हो, तीन तलाक कानून हो या प्रधानमंत्री आवास हो या अन्य सरकारी योजनाएं. इन योजनाओं का लाभ तो अल्पसंख्यक समाज ने लिया, लेकिन विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य वार्डों से कांग्रेस को बम्पर वोट मिले और लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम बाहुल्य वार्डों से कांग्रेस को अच्छे वोट मिले. दोनों ही चुनाव में भाजपा को इन योजनाओं के लाभ के बदले अल्पसंख्यक वोट नहीं मिले.

शहर के 8 मुस्लिम वार्ड भारी पड़े 21 वार्डों पर

शहर के 29 वार्ड में से 8 मुस्लिम बाहुल्य वार्ड हैं. जहां भाजपा को महज 3352 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 9803 वोट मिले. शेष 21 हिंदू वार्डों में ही भाजपा को जीत मिली है. यदि 21 वार्ड बहुसंख्यक भाजपा का साथ नहीं देते, तो मुस्लिम वार्ड की लीड भाजपा के लिए भारी पड़ सकती थी. विधानसभा चुनाव में भाजपा की शहर में मामूली जीत का कारण भी यही रहा कि अल्पसंख्यक वार्डों में कांग्रेस के पक्ष में बम्पर वोटिंग हुई और बहुसंख्यक वार्डों में भाजपा की गुटबाजी के कारण कम वोटिंग हुई.

 

वार्ड 5 में कभी नहीं जीत सकी भाजपा

 

शहर का वार्ड नंबर 5 एकमात्र ऐसा वार्ड है, जहां नगर पालिका चुनाव, विधानसभा, लोकसभा या कोई भी चुनाव हो, यहां से भाजपा कभी भी चुनाव नहीं जीती. यहां तक कि विधानसभा में उमा भारती लहर थी, तब भी वार्ड नंबर 5 में कांग्रेस चुनाव जीती. 2014, 2019 मोदी लहर में भी शहर के वार्ड नंबर 5 के तीनों पोलिंग पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा. वार्ड नंबर 5 की बात करें, तो मुस्लिम बाहुल्य वार्ड होने के साथ-साथ इस वार्ड में कांग्रेस के साथ अल्पसंख्यक समाज का मतदाता शत-प्रतिशत मतदान करता है. यहां तक कि इस वार्ड में कोई मुस्लिम प्रत्याशी यदि निर्दलीय भी चुनाव लड़े, तो भी वार्ड नंबर 5 के वोट कांग्रेस प्रत्याशी के खाते में जाते हैं.

 

मुस्लिम वार्डों में कांग्रेस को 6 हजार से मिली है जीत

पोलिंग वार्ड भाजपा कांग्रेस

159 से 162 वार्ड 5 686 1754

163 164 वार्ड 6 297 944

165 167 वार्ड 7 391 1872

168 169 वार्ड 8 301 921

172 173 वार्ड 10 446 1591

175 176 वार्ड 12 312 1090

180 181 वार्ड 15 468 755

183 184 वार्ड 17 451 876

मुस्लिम वार्डो में मिले वोट 3352 9803

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