कांग्रेस केवल दो बार जीती, जीत का आंकड़ा भाजपा का रहा है मजबूत

कांग्रेस ने एक बार फिर बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया, तो भाजपा ने स्थानीय को

शाजापुर, 16 मार्च. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद अब लोकसभा में भाजपा जहां फील गुड में है, वहीं कांग्रेस में सन्नाटा पसरा हुआ है. लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस-भाजपा ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने एक बार फिर बाहरी प्रत्याशी पर दाव लगाया है, तो भाजपा ने स्थानीय और वर्तमान सांसद को दूसरी बार मौका दिया है. देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ है. चार दशकों में जो भी लोकसभा चुनाव हुए, उसमें से कांग्रेस को महज दो बार ही सफलता मिली है.
गौरतलब है कि देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने इंदौर निवासी राजेंद्र मालवीय को टिकट दिया है, तो भाजपा ने वर्तमान सांसद और संसदीय क्षेत्र के स्थानीय निवासी महेंद्र सोलंकी को मैदान में उतारा है. पूर्व के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर यदि गौर करें, तो कांग्रेस केवल 1984 में इंदिरा लहर में देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से जीती थी और 2009 में मामूली अंतर से कांग्रेस को सफलता मिली थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यदि पूर्व चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें, तो स्थिति में कुछ ज्यादा परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है.

जज की नौकरी छोडक़र सांसद बने सोलंकी

भाजपा से वर्तमान सांसद और लोकसभा 2024 के भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी जज की नौकरी छोडक़र पहली बार 2019 में सांसद बने. वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष स्व. राधाकिशन मालवीय के पुत्र राजेंद्र मालवीय पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उनके पिता राधाकिशन मालवीय देवास संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े थे, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था. अब 2024 के चुनाव में राजेंद्र मालवीय भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी को कितनी टक्कर दे पाते हैं, देखना होगा.
संंसदीय क्षेत्र में नहीं है कांगे्रस के पास विधायक

देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभाएं आती हैं. तीन विधानसभा शाजापुर जिले की. तीन देवास जिले की, एक आगर जिले की और एक सीहोर जिले की. इन सभी विधानसभा में भाजपा विधायक हैं. या यूं कहें कि संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के पास अपना कोई विधायक नहीं है. आगर जिले से सुसनेर से कांग्रेस विधायक जरूर हैं, लेकिन वो संसदीय क्षेत्र राजगढ़ लोकसभा में आता है. देवास संसदीय क्षेत्र की बात करें, तो सभी विधानसभा को मिलाकर कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हारे हैं.

शाजापुर और देवास विधानसभा रहती है निर्णायक

लोकसभा चुनाव में पुराने चुनाव के आंकड़ों पर यदि नजर दौड़ाएं तो कांग्रेस के लिए शाजापुर विधानसभा हमेशा से मजबूत नजर आई है. 2009 में सज्जनङ्क्षसह वर्मा को सांसद बनाने में शाजापुर विधानसभा की महत्वपूर्ण भूमिका थी. 2009 में सज्जनसिंह वर्मा को सांसद बनाने में पूर्व विधायक हुकुमसिंह कराड़ा की विधानसभा निर्णायक साबित हुई थी, तो वहीं देवास विधानसभा की बात करें, तो इस विधानसभा से भाजपा को बम्पर लीड मिलती रही है, लेकिन 2009 में सज्जनसिंह वर्मा के सामने थावरचंद गेहलोत की हार का प्रमुख कारण शाजापुर विधानसभा तो थी ही, देवास से भी जीत का अंतर कम हुआ था. अब देखना है कि 2024 के चुनाव में देवास विधानसभा से भाजपा को कितनी मजबूती मिलती है और शाजापुर विधानसभा से कांग्रेस कितनी टक्कर देती है.

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